-सरकार ने इस बार समायोजन प्रक्रिया के लिए नहीं की शिक्षकों की काउंसलिंग -महिला शिक्षकों से लेकर विकलांग शिक्षिक लगा रहे शिक्षा मुख्यालय के चक्कर धौलपुर. जिला माध्यमिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय का नजारा अलग ही दिखा। जहां एक दिव्यांग शिक्षक जुम्मा खां चद्दर बिछा कार्यालय परिसर में ही लेटकर समायोजित प्रक्रिया का विरोध कर रहा था। जिसे उसके स्कूल में ही रिक्त पद होने के बावजूद 25 किमी दूर दूसरे स्कूल में भेज दिया गया। यह कहानी एक जुम्मन खां की नहीं अपितु कई ऐसे विकलांग शिक्षक और महिला शिक्षकों की जो समायोजित प्रक्रिया के दौरान दूसरे ब्लॉकों के स्कूलों में स्थानांतर कर दिए गए। जो अब रोज मुख्यालयों के चक्कर लगा अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं।
बगैर काउंसलिंग की गई समायोजित प्रक्रिया के कारण जिले के दर्जनों शिक्षक इच्छित स्थान नहीं पा सके। कई शिक्षकों को घर के नजदीक तो कई शिक्षकों को 30 से 50 किमी दूर भेज दिया गया है। जिसमें महिलाओं से लेकर दिव्यांग शिक्षक भी शामिल हैं। पिछले कुछ सालों से काउंसलिंग के मार्फत हो रहे तबादले, नियुक्तियों में शिक्षकों को विकल्प दिया जाता था, लेकिन इस बार विभाग स्तर पर ही सूची बना समायोजित कर दिया। इसके चलते विकलांग शिक्षकों से लेकर महिला शिक्षकों तक को कई किमी दूर भेज दिया गया है। जानकारों के अनुसार विभागीय गाइड लाइन में निर्देश थे कि समायोजन में शिक्षक को उसी स्कूल में पद रिक्त होने पर वहां पीईईओ क्षेत्र व ब्लॉक में ही लगाना है, लेकिन कई शिक्षकों को इस गाइडलाइन के अलग दूसरे ब्लॉक में लगा दिया। वहीं ब्लॉक में भी आसपास के विद्यालय की जगह दूरदराज के स्कूलों में लगाया है।
विकलांग शिक्षक को घर से भेजा 25 किमी दूर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अपना विरोध दर्ज करा रहे दिव्यांग शिक्षक जुम्मा खां ने बताया कि वह लेवल 2 सामाजिक विज्ञान पद पर राजकीय उच्च. माध्यमिक विद्यालय बकायपुरा में अधिशेष अध्यापक है। समायोजन प्रक्रिया के तहत अब उसको राजकीय माध्यमिक विद्यालय बोथपुरा जो कि उसके निवास से 25 किमी दूर है स्थानांतरित कर दिया गया है। जबकि उसके बकायपुरा विद्यालय में एक रिक्त पद होने के साथ उसके विकलांग होने के बावजूद उसे बोथपुरा स्कूल दिया गया है। साथ ही बोथपुरा स्कूल के इंग्लिश मीडियम होने से भी उसे परेशानी उठानी पड़ेगी। जिसकी शिकायत वह कई बार जिला मुख्यालय में आला अधिकारियों से कर चुका है। लेकिन कहीं से उसकी कोई सुनवाई ना होने के कारण थक हार कर वह जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय में दरी बिछा लेट अपना विरोध प्रदर्शन कर रहा है।
पीईईओ के अंतर्गत नहीं दी गई वरीयता महिला शिक्षिका देविका कुमारी ने बताया कि वह वर्तमान में राउमा विद्यालय मौरोली का पुरा ग्रा.पंचायत खेड़ा में सामाजिक विज्ञान लेवल 2 के पद पर कार्यरत हैं। जिनका शिक्षा विभाग ने समायोजन करते हुए राउमा विद्यालय भैंसेना में कर दिया है। जो कि गाइडलाइन का उल्लंघन है। उन्होंने ज्ञापन के जरिए बताया कि शिक्षा निदेशालय के जारी गाइडलाइन के मुताबिक महिला अधिशेष कार्मिक को पीईईओ के अंतर्गत किसी भी विद्यालय में रिक्त पद होने पर समायोजन में वरीयता दी जाएगी। लेकिन राउमावि सरानीखेड़ा में सामाजिक विज्ञान लेवल 2 का पद रिक्त होने के बावजूद भी उन्हें वहां समायोजन नहीं किया गया। अब वह जिला मुख्यालय के चक्कर पर चक्कर लगा रही हैं। लेकिन अभी तक तक उनकी सुनवाई तक नहीं गई है।
सुनवाई ना होने पर फूट-फूट कर रोई दिव्यांग शिक्षिका जिला शिक्षा कार्यालय में शिक्षक जुम्मा खां और देविका कुमारी ही नहीं समायोजन प्रक्रिया को लेकर चक्कर लगा रहे हैं। अपितु बुधवार को भी सैंपऊ स्थित राजकीय विद्यालय में कार्यरत महिला विकलांग शिक्षका भी अपना पीड़ा सुनाने अधिकारियों के दर पहुंची। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उसकी कोई सुनवाई ना होने के कारण वह मुख्यालय परिसर में ही फूट-फूट कर रोती रही। लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं पहुंचा।
गाइड लाइन की उड़ी धज्जियां जानकारों के अनुसार विभागीय गाइड लाइन में निर्देश थे कि समायोजन में शिक्षक को उसी स्कूल में पद रिक्त होने पर वहां, पीईईओ क्षेत्र व ब्लॉक में ही लगाना है, लेकिन कई शिक्षकों को इस गाइडलाइन के अलग दूसरे ब्लॉक में लगा दिया। वहीं ब्लॉक में भी आसपास के विद्यालय की जगह दूरदराज के स्कूलों में लगाया गया है जिनमें महिला शिक्षकों से लेकर विकलांग शिक्षक तक शामिल हैं।
सरकार ने इस बार समायोजन को लेकर शिक्षकों की काउंसलिंग नहीं कराई है। शिक्षकों को उनके हिसाब से समायोजन किया गया है। शिक्षकों के स्कूल में रिक्त पद होने की बात सत्य नहीं है।
-सुक्खो देवी, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक