सरमथुरा. हाइवें पर सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए ना तो एनएचएआई के अधिकारी ही गंभीर है ना ही प्रशासन ने सुध ली है। हाइवें पर बना डिवाइडर ब्लैक स्पॉट बना हुआ है। ऐसी कोई रात बाकी नही है कि जो हाइवें पर बने डिवाइडर से वाहन टकराकर क्षतिग्रस्त नही हो रहे है। लेकिन, नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी अनभिज्ञ है। हाइवें पर बने ब्लैक स्पॉट की तरफ किसी का भी ध्यान नही है। इसकी वजह से हादसों की आशंका बढ गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि हाइवें पर सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रशासन कोई कारगार कदम क्यों नही उठा रहा है या फिर हादसे कम करने की दिशा में कुछ काम भी हो रहा है।
इस समय राष्ट्रीय राजमार्ग 11 बी पर सुनीपुर व सरमथुरा बाईपास तिराहे व मोठियापुरा पुल पर ब्लैक स्पॉट बने हुए हैं। जिसके कारण सड़क हादसें जानलेवा साबित हो रहे है। यहां तीन माह में दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। गत माह में सुनीपुर पर दो हादसों में 15 लोगों की मौत से प्रशासन की आंखें नही खुली है। हाईवे पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। सड़कों पर रिफ्लेक्टर, मोड़ संकेतक देखने को नहीं मिल रहे हैं। सर्विस लेन की स्थिति तो बदहाल हो गई है। स्थिति यह है कि नेशनल हाईवे पर न तो संकेतक लगे हैं और न ही कही पर ओवर स्पीड को रोकने की व्यवस्था है। अंधे मोड़ पर रफ्तार से गाड़ियां दौड़ रहीं हैं और अचानक आने वाले अवरोधों से बचने में हादसे होते जा रहे हैं। सड़कों पर फैली गिट्टी-मिट्टी से भी सड़क हादसें बढ रहे है। जबकि सड़क हादसों को रोकने के लिए कोई कारगर कदम नही उठाए गए हैं। जिसके कारण लोगों का जीवन संकट में है।
कोहरे के सीजन में चूके तो हो सकता है हादसा: सर्दी के मौसम में वाहन चालकों की परेशानियां बढने की संभावना है।हाइवें पर कटे डिवाइडर, झाड़ियों में छिपे संकेतक एवं पशुओं के जमाबड़े से आने वाले दिनों में कोहरे को लेकर मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। ऐसे में अगर आप हाइवें पर सफर कर रहे हैं तो जरा ध्यान से चलें। क्योंकि जरा भी चूके तो हादसे का शिकार हो सकते हैं।
डिवाइडर व क्षतिग्रस्त सड़क से हादसों में इजाफा: हाइवें पर बाईपास स्थित तिराहे पर डिवाइडर से टकराकर रोजाना वाहन क्षतिग्रस्त हो रहे है। वही ओवरब्रिज पर सड़क क्षतिग्रस्त होने से हादसें बढ गए है। अधिकांश हादसें रात्रि में ही घटित हुए हैं। हाइवें पर तेज रफ्तार वाहन दौडते वक्त चालक को डिवाइडर का आभास नही होता है। जिसके कारण डिवाइडर जानलेवा साबित हो रहे हैं। जबकि लोगों ने एनएचएआई के अधिकारियों से कई बार डिवाइडर व क्षतिग्रस्त सडक को दुरुस्त करने की गुहार लगाई है।