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धौलपुर

दो घंटे में समस्या हल का वादा डेढ़ माह बाद भी अधूरा

नगर परिषद का ठीठ रवैया शहरवासियों की परेशानी का आधार बन गया है। राजाखेड़ा बाइपास स्थित गोवर्धन वाटिका क्षेत्र के कालोनीवासियों को नगर आयुक्त के दो घंटे में समस्या हल का वादा डेढ़ माह बाद भी पूरा नहीं हो सका। पूरा तो छोडि़ए समस्या का हल निकालने तक की कोशिश नहीं हुई। जिस कारण इस क्षेत्र के 5 से 6 हजार लोग गंदे पानी की भंवर में फंसे हुए हैं।

धौलपुरNov 14, 2024 / 06:58 pm

Naresh

दो घंटे में समस्या हल का वादा डेढ़ माह बाद भी अधूरा Promise to solve problem in two hours remains incomplete even after one and a half month
– नगर आयुक्त ने राजाखेड़ा बाइपास कालोनीवासियों को दिया था वादा

– क्षेत्र की आधा दर्जन कालोनियों की हालत अब भी जस की तस

– गंदे पानी और दलदलरूपी सडक़ों में बच्चे और बुजुर्ग गिरकर हो रहे चोटिल
धौलपुर. नगर परिषद का ठीठ रवैया शहरवासियों की परेशानी का आधार बन गया है। राजाखेड़ा बाइपास स्थित गोवर्धन वाटिका क्षेत्र के कालोनीवासियों को नगर आयुक्त के दो घंटे में समस्या हल का वादा डेढ़ माह बाद भी पूरा नहीं हो सका। पूरा तो छोडि़ए समस्या का हल निकालने तक की कोशिश नहीं हुई। जिस कारण इस क्षेत्र के 5 से 6 हजार लोग गंदे पानी की भंवर में फंसे हुए हैं।
राजाखेड़ा बाइपास से सटी आधा दर्जन कालोनी के लोग पिछले कुछ सालों से नरकीय जीवन जी रहे हैं। जिससे आजादी के लिए कई बार उन्होंने जिम्मेदारों से गुहार लगाई, लेकिन कहीं कोई सुनवाई न होने पर गत दिनों लोगों ने राजाखेड़ा मार्ग जाम कर दिया था। तब लोगों की समस्याओं को जानने के लिए नगर आयुक्त मौके पर पहुंचे और लोगों ने अपनी पीड़ा बताई। क्षेत्र के जलभराव और खस्ताहालत देखकर आयुक्त ने सीवर लाइन से पानी निकासी की वैकल्पिक व्यवस्था दो घंटे के अंदर कराने का वादा किया। वादा करने के बाद आयुक्त मौके से निकल गए और लोग नगर परिषद की कार्रवाई का इंतजार करते रह गए। दो घंटे का इंतजार दो माह के इंतजार में बदल गया। लेकिन आयुक्त का वादा अभी तक हवा हवाई निकला।
पत्थरों के सहारे क्षत्रवासी

नौनिहालों से लेकर बुजुर्गों तक की जिंदगी गंदगी और जलभराव के भंवर में फंसी हुई है। राजाखेड़ा बाइपास से गोविंद वाटिका वाला मुख्य मार्ग तालाब बना हुआ है। मार्ग पर गड्ढे होने के कारण मामला और गंभीर है। मार्ग पर से निकलने के लिए थोड़ी सी भी जमीन नहीं है। जिस कारण लोग पत्थर रखकर निकलते हैं। थोड़ा सी भी बैलेंस बिगडऩे पर लोग गंदे पानी में गिरकर चोटिल हो जाते हैं। देखा जाए तो यह हालत केवल इस मार्ग की नहीं है, अपितु क्षेत्र के अन्य मार्गों का भी हाल यही है।
पानी और गड्ढों में गिरकर चोटिल हो रहे बच्चे

गोविंद वाटिका रोड और श्रीराम गार्डन रोड पर तीन निजी स्कूल भी संचालित हो रहे हैं। जिसमेें सैकड़ों बच्चे अध्ययन करने के लिए आते हैं। लेकिन हालात यह हैं कि नौनिहालों को इन दलदलरूपी सडक़ों को पार कर पाठशाला पहुंचना पड़ रहा है। क्योंकि इन सडक़ों से निकलना नौजवानों तक के लिए कठिन है। मजबूरीवश बच्चे डर के साथ पग-पग रख गिरते-पड़ते चोटिल होते स्कूल पहुंचते हैं। लेकिन विड़म्बना यह है कि बचपन और भविष्य को गंदे पानी में मैला होते जिम्मेदारों की आंखों में शर्म तक महसूस नहीं होती।
डर के साए में रख रहे पग

सोचो एक तरफ ट्रांसफार्मर और खुले बिजली के तार हों तो दूसरी तरफ गंदे पानी से भरी सडक़। जिसे पार करने के लिए पानी में पत्थर पड़े हों। तो किसी को भी रास्ते से निकलने में डर महसूस होगा। लेकिन इस डर को इस क्षेत्र के बच्चे पल-पल जी रहे हैं। इस मार्ग से पढऩे वाले बच्चों का आना जाना बना रहता है। जिससे आसपास के लोगों के मन में डर बना रहता है।
स्कूल आने में बहुत डर लगता है। रास्तों में जगह-जगह पानी भरा हुआ है। निकलने तक की जगह नहीं है। पत्थर डालकर पानी से निकलना पड़ता है। हमारे स्कूल के सामने ही खूब पानी भरा हुआ है। कभी तो हमारे घर वाले हमें छोडऩे आते हैं।
गौरी यादव, छात्रा

कुछ दिन पहले ही जब मैं स्कूल आ रही थी तब मेरी एक सहेगी सडक़ से निकलते रपट कर गंदे पानी में गिर गई। जिस कारण उसके सारे कपड़े गंदे हो गए। कई बार मैं भी गिरने से बची हूं। स्कूल आने वाले बच्चे आए दिन पानी में गिर पड़ते हैं।
– मनु सिकरवार, छात्रा

क्षेत्र के लोगों की समस्या को कोई सुनने वाला नहीं है। यहां की सारी सडक़ें गंदे पानी से जलमग्न हैं। सीवरें चौक हैं। आयुक्त ने डेढ़ माह पूर्व दो घंटे मेें सीवर से जलनिकासी निकाले का वादा किया था। लेकिन वह अपना वादा आज तक पूरा नहीं कर सके।
– सुनील तिवारी, क्षेत्रीय नागरिक

सडक़ों की हालत बहुत खस्ताहाल हैं। चेम्बरों से पानी सडक़ों पर भर रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों का घर से निकलना लगभग बंद हो चुका है। स्कूल जाने वाले बच्चे इन रास्ते से गिरकर चाटिल हो रहे हैं। जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
– रजनी शर्मा, शिक्षक

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