धौलपुर

सैनिकों याद में बने शहीद स्थल की अनदेखी, अतिक्रमियों ने घेरा

वीर सैनिकों की याद में शहर के प्रमुख स्थल पुरानी सब्जी मण्डी में तत्कालीन महाराजा ने शहीद स्थल का निर्माण कराया था लेकिन वर्तमान में यह स्थल अनदेखी और अतिक्रमण की मार सह रहा है।

धौलपुरJan 26, 2025 / 01:02 pm

Naresh

– प्रथम विश्व युद्ध में धौलपुर के ५० सैनिक हुए थे शहीद
– शहीद स्थल एक तरफ रखे खोखा और मुख्य गेट के सामने खड़ी रहती हैं ठकेल

धौलपुर. देशवासी रविवार को 76वां गणतंत्र दिवस जोश व उमंग के साथ मना रहे हैं। वहीं, देश की स्वतंत्रता के लिए आजादी से पहले भी लोगों ने अपनी कुर्बानियां दी हैं। प्रथम विश्व युद्ध में भी भारत के सैनिकों ने विदेशी सेनाओं से जमकर लोह लिया था। द्वितीय विश्व युद्ध में पूर्वी राजस्थान की उस समय छोटी धौलपुर रियासत से भी बड़ी संख्या में सैनिकों ने अपना पराक्रम दिखाया। इन वीर सैनिकों की याद में शहर के प्रमुख स्थल पुरानी सब्जी मण्डी में तत्कालीन महाराजा ने शहीद स्थल का निर्माण कराया था लेकिन वर्तमान में यह स्थल अनदेखी और अतिक्रमण की मार सह रहा है। साल १९१६ में सैनिकों पर एक कविता लिखी गई थी कि ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशान होगा।’ लेकिन अब लगता है कि ये पक्तिंया बस पक्तियां ही बनकर रह गई है। शहीदों की यादों को संजोने के लिए बनाया स्थल अपनी आभा खो रहा है। केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी को प्रशासन को इस शहीद स्थल की याद आती है, अन्य दिनों यहां पतझड़ बना रहता है।
प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए थे 50 सैनिक

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद राजस्थान के प्रदेश सह संगठन सचिव प्रणव मुखर्जी ने बताया कि साल 1914-1919 तक प्रथम विश्व युद्ध चला था। इस विश्व युद्ध में धौलपुर के तत्कालीन महाराजा की ओर से अंग्रेजों की सेना के साथ मोरोली गांव के 200 सैनिक विदेशों में गए थे। महायुद्ध के दौरान इसमें से 50 सैनिक अलग-अलग स्थानों पर शहीद हुए थे। उनकी याद में तत्कालीन महाराजा ने शहर की पुरानी सब्जी गेट के पास साल 1922 में शहीद स्मारक बनवाया था। समय के साथ यह स्मारक धीरे-धीरे बदहाल होता जा रहा हैं। अंदर की तरफ गंदगी रहती है और बकरी और श्वान घूमते दिख जाएंगे। जिले से द्वितीय विश्व युद्ध में भी बिटिश सेना के साथ करीब50 सैनिकों ने भाग लिया था।
युद्ध समेत अन्य ऑपरेशन में 13 सैनिक हुए शहीद

धौलपुर जिले से सेना की ओर से लड़े गए युद्ध और विभिन्न ऑपरेशन में १३ सैनिक शहीद हो चुके हैं। जिले से वर्तमान में करीब ७०० से अधिक सैनिक सेना की विभिन्न टुकडिय़ों में सेवा दे रहे हैं। साथ ही अलग-अलग पदों से करीब ७५० सैनिक सेवानिवृत हो चुके हैं। शहीद हुए सैनिकों में सिपाही प्रीतम सिंह गुर्जर १९४८, सिपाही बाबूलाल गुर्जर १९५५, सिपाही मंगल सिंह, लज्जाराम गुर्जर, विद्याराम गुर्जर व कमल किशोर भारत-चीन युद्ध १९६२, हरविलास गुर्जर, हवलदार गोकुल लाल शर्मा भारत-पाक युद्ध १९६५, राइफलमैन कमल सिंह परमार १९९५, ग्रेनेडियर राघवेन्द्र सिंह परिहार २०१६, कांस्टेबल भागीरथ सिंह गुर्जर पुलवामा अटैल २०१९ व हवलदार रणजीत सिंह सिकरवार २०२३ में शहीद हुए।
शहीद स्थल के आसपास अतिक्रमण

शहीद स्थल के आसपास हथठेल वालों ने अतिक्रमण कर रखा है। स्थल के आसपास खोखा रख दिए हैं, जिससे बाहर से आने वाले और नई पीढ़ी के युवाओं को इस स्थल की जानकारी तक नहीं है। शहीद स्थल के अंदर जाने के लिए छोटा सा गेट तो बना हैं। लेकिन आसपास अतिक्रमण होने से उसका गेट बंद सा लगता है। यहां पास में ही वाहनों के पार्किंग स्टैंड कर लिया, जिससे शहीद स्थल की बेकद्री हो रही है। इसी तरह पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के समय मचकुण्ड रोड पर नया शहीद स्थल बनाया गया था लेकिन यहां भी अभी तक शहीद हुए सैनिकों के नाम नहीं लिखे जा सके हैं।

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