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धौलपुर

शेरगढ़ किला कागजों तक सिमटा, पर्यटन विकास की बात करने वाले जिम्मेदार ही बन रही बैरी

हाइवे पर किले को दर्शाने वाला साइनिंग बोर्ड तक नहीं

धौलपुरJul 21, 2024 / 06:39 pm

Naresh

शेरगढ़ किला कागजों तक सिमटा, पर्यटन विकास की बात करने वाले जिम्मेदार ही बन रही बैरी Shergarh Fort is limited to papers, those who talk about tourism development are becoming enemies
– हाइवे पर किले को दर्शाने वाला साइनिंग बोर्ड तक नहीं

धौलपुर. आगरा-ग्वालियर राजमार्ग पर चंबल नदी के पास बीहड़ में बना शेरगढ़ किला अपनी चमक खोता जा रहा है। कहने को तो राजस्थान में किले और हवेलियां देखने देश से ही नहीं विदेशों ने बढ़ी संख्या में हर साल सैलानी पहुंचते हैं। लेकिन पूर्वी राजस्थान के अंतिम छोर पर बसे धौलपुर में पर्यटन गतिविधियां शून्य की स्थिति में हैं। पर्यटन के नाम पर केवल बीच में कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम करा कर पर्यटन विभाग वाहवाही लूटने लूटने का प्रयास करता है। जबकि विभाग ने कभी इस पर्यटन स्थल की सुध नहीं ली। हाइवे से नजर आने वाले इस शेरगढ़ किले का बाहर से आने वाले सैलानियों को रास्ता तक नहीं पता और वह सीधे आगरा से ग्वालियर की तरफ निकल जाते हैं। अगर प्रचार प्रसार हो और शेरगढ़ किले की आसपास के पर्यटन स्थलों पर ब्रॉडिंग हो तो अपना भी किला पर्यटकों से आबाद हो सकता है।
कच्चा रास्ता और न ही रोशनी की व्यवस्था

पर्यटन को बढ़ावा देने का दावा करने वाले महकमे केवल बैठक कर इतिश्री कर लेते हैं। किले पश्चिमी राजस्थान की पहचान हैं लेकिन धौलपुर में उलट है। यहां किले को लावारिसों की तरह छोड़ रखा है। हाल ये है कि किले तक पहुंचने के लिए पक्की सडक़ तक नहीं है। बरसात के दिनों में तो यहां पहुंचना किसी खतरे से खाली नहीं है। जरा सी शाम हो जाए तो अंधेरे में आना मुश्किल पड़ जाता है। जबकि किला नगर परिषद सीमा से लगा है। पहले यहां पर सीसी रोड थी लेकिन चंबल लिफ्ट परियोजना के कार्य के चलते उक्त रोड खराब हो गई। उक्त रोड को वापस बनाने का भरोसा दिया लेकिन अभी तक हालत जस की तस हैं।
491 साल पुराना है किला

ऐतिहासिक किला 491 वर्ष पुराना है। जो अब खंडहर में बदल हो चुका है। किले का निर्माण जोधपुर के राठौर वंश के महाराजा मालदेव ने 1532 ईस्वी में करवाया था। किले में प्राचीन हनुमान मंदिर है, जहां सुबह-शाम श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। इस किले को शेरशाह सूरी के आक्रमण का सामना करना पड़ा। शेरशाह सूरी के कब्जे में आते ही धौलपुर किले का नाम शेरगढ़ किला हो गया। शेरशाह सूरी ने 1540 ईस्वी में इस किले का जीर्णोद्धार करवाया। शेरगढ़ किले में चार गेट, कई महल, आंगन, एक मकबरा और कई खंडहर संरचनाएं है। प्रसिद्ध पंचमुखी हनुमान मंन्दिर के साथ साथ कई दर्शनीय स्थल हैं। शेरगढ़ किला का उपयोग 20वीं शताब्दी की शुरुआत तक किया जाता रहा है। इसके चारों ओर ऊंचे गढ़ बने हुए हैं। इस पर सैनिक तैनात रहते थे। वहाँ से सैनिक चौकसीए देखभाल और रखवाली किया करते थे।
पर्यटक किले तक कैसे पहुंचे

शेरगढ़ किला धौलपुर शहर से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शहर से मुरैना की तरफ जाते समय रास्ते में सागरपाड़ा से आगे एक छोटा सा रास्ता किले की तरफ गया हुआ है। यहां से कुछ ही दूरी पर आगे की तरफ चंबल नदी बहती है। दिल्ली की तरफ से आने वाले पर्यटक यहां आने के लिए आगरा होकर ग्वालियर का सडक़ मार्ग पकड़ सकते हैं। इसके अलावा ग्वालियर से भी यहां सीधा आया जा सकता है।

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