राजस्थान के इस जिले में मराठों ने बनाए दो चमत्कारी शिव मंदिर, इन में से एक में होती है शंख और डमरू से आरती
रामेश्वरम के नाम से भी विख्यात ऐतिहासिक शिव मंदिर
सैंपऊ महादेव मंदिर को रामरामेश्वर भी कहा जाता है। बताते है कि मुनि विश्वामित्र के साथ भ्रमण पर आए भगवान श्री राम ने पूजा अर्चना के लिए इस शिवलिंग की स्थापना की थी। कालांतर में यह नीचे दब गया और ऊपर झाड़ व वनस्पतियां उग गई। श्याम रतन पुरी ने जब यहां खुदाई की तब यह शिवलिंग बाहर निकला। पंडित लोकेश शर्मा ने बताया कि यहां सावन और फाल्गुन मास में मेला रहता है। दीपदान, बेलपत्र के साथ विशेष प्रकार की पूजा भी की जाती है शिवलिंग 1 साल में तीन बार रंग बदलता है। यूपी, एमपी सहित अन्य राज्यों से श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं।
मूल स्वरूप से छेड़छाड़ करने पर रोष
महादेव मंदिर पर मूल स्वरूप से छेड़छाड़ को लेकर श्रद्धालुओं में रोष व्याप्त है। श्रद्धालुओं ने बताया के मंदिर के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ कर मंदिर की भव्यता को ग्रहण लगा दिया है। जिससे राजस्थान के अलावा अन्य राज्य से भी आने वाले श्रद्धालु मंदिर के ऊपर चढकऱ भी मंदिर की भव्यता को निहारते थे। लेकिन मंदिर की छतरी टीन शेड डलवाने से मंदिर की भव्यता को ग्रहण लग रहा है। देवस्थान विभाग की अनदेखी के चलते श्रद्धालुओं में रोष है।
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30 युवाओं की टीम आज चढ़ाएगी पहली डाक कांवड़
ऐतिहासिक शिव मंदिर पर सैपऊ कस्बे क्षेत्र की पहली डाक कांवड़ चढ़ाने के लिए 30 युवाओं की टीम रविवार को डाक कांवड़ लेने के लिए रवाना हुई। सुबह ऐतिहासिक शिव मंदिर पर भोले बाबा के दर्शन के बाद 30 युवकों की टीम कावड़ के लिए रवाना हुई कांवडिय़ा श्यामू परमार ने बताया डाक कावड़ कचला घाट से भरकर सोमवार सुबह तक ऐतिहासिक शिव मंदिर पर पहुंचेगी, जहां गंगाजल से स्वयंभू शिवलिंग का अभिषेक किया जाएगा।