धौलपुर

एंटी वायरस के डोज से साइबर ठग पड़े कमजोर, भरतपुर रेंज में 10 माह में एक हजार से अधिक साइबर ठग गिरफ्तार

उत्तर भारत में साइबर ठगों के गढ़ के रूप में कुछ समय से मेवात इलाका काफी कुख्यात हुआ है। मेवात ने झारखण्ड के जामताड़ा जैसे साइबर ठगी में माहिर बदमाशों को भी पीछे छोड़ दिया है। लोगों की मेहनत की कमाई को पलक झपकते ही उड़ाने वाले इन साइबर गिरोह पर नकेल कसने के लिए पुलिस ऑपरेशन एंटी वायरस शुरू किया।

धौलपुरNov 20, 2024 / 06:31 pm

Naresh

– भरतपुर में से बने डीग जिले में ताबड़तोड़ कार्रवाई, यहां विभिन्न थानों में 246 एफआइआर दर्ज
धौलपुर. उत्तर भारत में साइबर ठगों के गढ़ के रूप में कुछ समय से मेवात इलाका काफी कुख्यात हुआ है। मेवात ने झारखण्ड के जामताड़ा जैसे साइबर ठगी में माहिर बदमाशों को भी पीछे छोड़ दिया है। लोगों की मेहनत की कमाई को पलक झपकते ही उड़ाने वाले इन साइबर गिरोह पर नकेल कसने के लिए पुलिस ऑपरेशन एंटी वायरस शुरू किया। ऑपरेशन की कमान भरतपुर रेंज पुलिस महानिरीक्षक राहुल प्रकाश ने संभाली। ऑपरेशन में साइबर ठगों पर रणनीति बनाकर चौतरफा हमला किया गया। इसका असर ये हुआ कि वर्तमान में साइबर ठगों के जो गिरोह रेंज के डीग जिले से संचालित थे, वे इलाका छोडकऱ भाग निकले हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रेंज में बीते 10 माह में साइबर ठगों के खिलाफ 304 मुकदमे दर्ज हुए हैं। इसमें अकेले 246 डीग जिले में हैं। धरपकड़ के साथ कई साइबर ठगों के अवैध अतिक्रमण पर भी कार्रवाई कर कच्चे-पक्के निर्माण कार्यों को ध्वस्त कर दिया गया। इससे ठगों में हडक़ंप मच गया। जिससे ठग हरियाणा और दिल्ली भाग निकले। बीते दस माह में रेंज में 1064 साइबर ठग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
ठगों के हलक में से निकाले 59 लाख रुपए

साइबर ठगों के खिलाफ अभी तक केवल छोटी-मोटी कार्रवाई होकर रह जाती थी। लेकिन लोगों से ठगी राशि नहीं मिल पाती थी। लेकिन ऑपरेशन एंटी वायरस में ठगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और गिरफ्तारी के साथ इन ठगों से राशि भी वापस निकाली गई है। हालांकि, ठग करोड़ों रुपए की लोगों को चपत लगा चुके हैं। लेकिन ऑपरेशन के तहत पुलिस जनवरी से अक्टूबर 2024 तक गिरोहों से अलग-अलग स्तर पर 59 लाख रुपए की राशि जब्त कर चुकी है।
ढाई हजार से फोन किए जब्त

ऑपरेशन एंटी वायरस के तहत पुलिस जनवरी से अक्टूबर तक साइबर ठगों से 2527 सिम कार्ड जब्त कर चुकी है। इसके अलावा 1755 मोबाइल फोन, 447 एटीएम कार्ड, 10 माइक्रो एटीएम, 12 स्वैप मशीन, 93 दुपहिया, 44 चौपहिया वाहन, 12 लैपटाप, 3 टेबलेट, 6 कम्प्यूटर, 110 बैंक पासबुक, 145 चेक बुक, एक कैश काउटिंग मशीन, 9 हथियार को जब्त तथा कार्रवाई के दौरान साइबर ठगों के भूमि पर किए अनाधिकृत 9 कब्जों को हटाया गया।
करोड़ों रुपए ठगी कर चुकी हैं गैंग

मेवात के साइबर ठगों से लोगों को झांसे में लेकर करोड़ों रुपए की ठगी कर चुके हैं। बता दें कि मेवात में 80 अलग-अलग गैंग साइबर ठगी से जुड़ी हैं। भरतपुर में से डीग के अलग से जिला बनने पर ठगों के ज्यादातर इलाके इसमें चले गए। इसमें मुख्यतय डीग कोतवाली, कामां, सीकरी, नगर, पहाड़ी, खोह, कैथवाड़ा, जालूकी, जुरहरा, गोपालगढ़ में ही सर्वाधिक ठगी के मामले दर्ज हैं। कई ठग तो करोड़ों रुपए की लोगों को चपत लगा चुके हैं। डीग जिले के नगर थाने में दर्ज मुकदमे में आरोपित 13.50 करोड़ रुपए, कामां थाने में दर्ज मुकदमे में आरोपित जावेद पर 11.69 करोड़ रुपए, कैथवाडा थाने के मुकदमे में नामजद आरोपित तालीम पर 7.85 करोड़ रुपए और सीकरी थाने में दर्ज मुकदमे में आरोपित तैफूल 7.3 लाख रुपए की ठगी कर चुके हैं।
वाहनों की चोरी से साइबर ठगी तक पहुंचे

प्रदेश के अलवर और डीग जिले से लगा हरियाणा का मेवात इलाका शुरू से ही आपराधिक घटनाओं के बदनाम रहा है। मेवात के बदमाश पहले वाहन चोरी करते थे और एनसीआर में वाहन चोरी में इनका आएदिन नाम आता था। डीग के एक गांव का नाम तो चोरगढ़ी तक पड़ गया। इसमें सख्ती होने पर इन्होंने वारदात का पैटर्न बदला और नकली सोने की ईंट के जरिए लोगों से ठगी करने लगे। इसमें अपने जाल में सैकड़ों लोगों को फंसा कर ठगी की। नकली ईंट की लगातार वारदातें होने और पुलिस के चौकस होने पर धीरे-धीरे इसको छोड़ कर ये एटीएम से छेड़छाड़ और उखाडऩे की वारदात करने लगे। लेकिन इसमें रिस्क अधिक होने और पकड़े जाने की वजह से फिर ये बदमाश साइबर ठगी के वारदातें करने लगे। पुलिस की गिरफ्त में नहीं आने और किसी तरह की पहचान नहीं होने से ये देशभर में साइबर ठगी करने लगे।
जिला एफआइआर गिरफ्तारी जब्त नकदी

भरतपुर 5 6 1.18डीग 249 938 57.05धौलपुर 6 24 0.75करौली 10 20 0.2स.माधोपुर 24 61 0गंगापुरसिटी 10 15 0(नोट: आंकड़े रेंज कार्यालय के अनुसार)

– साइबर ठगों के खिलाफ ऑपरेशन एंटी वायरस चला लगातार कार्रवाई की जा रही है। इसमें अच्छी कार्रवाई हुई है। लोगों को अनजान फोन, मैसेज, लिंक इत्यादि को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही किसी अपरिचित के पूछने पर ओटीपी नहीं बताएं। फोनकर्ता को लेकर पहले तस्दीक कर ले, जिससे ठगी से बचा जा सके।
– राहुल प्रकाश, आइजी, भरतपुर रेंज

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