धौलपुर. यहां राजकीय महाविद्यालय में दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी फ्यूचरिस्टिक अप्रोच फॉर विकसित भारत-2047 का शुभारम्भ हुआ। उद्घाटन सत्र्र में मुख्य अतिथि श्रीकान्त क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विशिष्ट अतिथि भारतीय शिक्षण मण्डल जयपुर के प्रान्त मंत्री प्रो.गजेन्द्र पाल सिंह एवं प्रो.वाइस चांसलर इग्नू प्रो.मनरूप सिंह मीना रहे। मुख्यवक्ता बनारस हिन्दुु विवि बनारस के प्रो.एनके दुबे तथा भारतीय शिक्षण मण्डल जयपुर प्रान्त के उपाध्यक्ष प्रो.मुकेश कुमार रहे।
कार्यक्रम के शुभारंभ में प्राचार्य प्रो.गिर्राज सिंह मीना ने मुख्य अतिथि डॉ.श्रीकान्त का माला एवं शॉल पहनाकर एवं प्रतीक चिह्न भेंटकर स्वागत किया गया। प्रो.सोहराब शर्मा आयोजन सचिव ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रो. मुकेश कुमार उपाध्यक्ष भारतीय शिक्षण मण्डल जयपुर प्रान्त ने संगोष्ठी विषय सम्बंधी जानकारी को विस्तृत रूप से बताया।
मुख्यवक्ता बीएचयू के प्रो.दुबे ने पत्र वाचन करते हुए एलौपेथी एवं पुरानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद की तुलनात्मक समीक्षा करते हुए आयुर्वेद की श्रेष्ठता को सदन के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि भारत प्राचीनकाल से ही मोटे अनाज का सर्वप्रमुख उत्पादक राष्ट्र रहा है, इनका सेवन कर हम अनेक रोगों से दूर रह सकते हैं। विशिष्ट अतिथि प्रांत मंत्री प्रो.सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में शैक्षिक अवदान की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि भारत अनादिकाल से शैक्षिक क्षेत्र में अग्रणी रहा है और पुन: विश्व-गुरू बनाना है।
विषिष्ट अतिथि इग्नू के वाइस चांसलर प्रो. मीना ने विकसित भारत-2047 के विजिन डॉक्यूमेंट के लिए मैक-इन-इंडिया से जुड़े हुए क्षेत्रों अभियांत्रिकी, कृषि, उद्योग, चिकित्सा, व्यापार, विज्ञान एवं तकनीकि इत्यादि में भारत की प्रगति का विवेचनात्मक अनुषीलन प्रस्तुत किया। आज भारत वैश्विक परिदृष्य में अपनी विषिष्ट पहचान रखता है और उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। संगोष्ठी में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थानों से जुड़े विषय विषेषज्ञों द्वारा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से अपने शोध-पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया। संगोष्ठी के अन्तर्गत महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया जिसमें अनेक मनमोहक प्रस्तुतियों के द्वारा आमंत्रित अतिथियों एवं प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध किया। इस अवसर पर जिले में अवस्थित विभिन्न महाविद्यालयों से आए प्राचार्य एवं आचार्य, सह-आचार्य, सहायक आचार्यों के साथ स्थानीय महाविद्यालय अधिकारी, कर्मचारी एवं शोध छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।