कोरोना वैक्सीन के प्रमाण-पत्र की हार्डकॉपी रखने की नहीं जरूरत ईमूनोबैंड में होगी सम्पूर्ण जानकारी
धौलपुर. कोरोना महामारी ने सम्पूर्ण विश्व को झकझोर कर रखा दिया है। इससे बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है। जिसके बाद टीकाकरण का एक सर्टिफिकेट भी जारी किया जाता है। जिसमे वैक्सीनेशन की सम्पूर्ण जानकारी होती है। यदि कोई किसी भी सार्वजनिक स्थान या यात्रा में जाते हैं तो यह सर्टिफिकेट आपके पास होना जरूरी होता है। अब एक ऐसा ईमूनोबैंड उपलब्ध हो गया है। जिसे आप अपने हाथ की कलाई में पहन सकते हैं। जिसमें आपकी कोविड टीकाकरण की पहचान, आपके हेल्थ की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध होगी।
धौलपुर. कोरोना महामारी ने सम्पूर्ण विश्व को झकझोर कर रखा दिया है। इससे बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है। जिसके बाद टीकाकरण का एक सर्टिफिकेट भी जारी किया जाता है। जिसमे वैक्सीनेशन की सम्पूर्ण जानकारी होती है। यदि कोई किसी भी सार्वजनिक स्थान या यात्रा में जाते हैं तो यह सर्टिफिकेट आपके पास होना जरूरी होता है। अब एक ऐसा ईमूनोबैंड उपलब्ध हो गया है। जिसे आप अपने हाथ की कलाई में पहन सकते हैं। जिसमें आपकी कोविड टीकाकरण की पहचान, आपके हेल्थ की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध होगी।
क्या होगा लाभ
किसी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड तथा यात्रा एवं व्यापार के दौरान कहीं पर भी जाने पर कोरोना वैक्सीन के बड़े से सर्टिफिकेट की हार्ड कॉपी रखने की आवश्यकता नहीं होगी। आपकी हेल्थ की सम्पूर्ण जानकारी हाथ में पहने हुए ईमूनोबैंड में होगी। यह बैंड कोविन एप से भी लिंक होगा।
किसी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड तथा यात्रा एवं व्यापार के दौरान कहीं पर भी जाने पर कोरोना वैक्सीन के बड़े से सर्टिफिकेट की हार्ड कॉपी रखने की आवश्यकता नहीं होगी। आपकी हेल्थ की सम्पूर्ण जानकारी हाथ में पहने हुए ईमूनोबैंड में होगी। यह बैंड कोविन एप से भी लिंक होगा।
किस तकनीकी का हुआ उपयोग
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियर कपिल परमार ने बताया कि इस ईमूनोबैंड को हाथ की कलाई मे पहना जाता है। जिस पर एक क्यूआर कोड प्रिंट रहता है। इसमें क्यूआर कोड तकनीकी का उपयोग किया जाता है। क्यूआर कोड का पूरा नाम ‘क्विक रेस्पॉन्स कोड’ होता है। क्यूआर कोड एक ऐसा पैटर्न होता है, जिसमें किसी व्यक्ति या वस्तु की जानकारी छुपी हुई रहती है। इसको स्कैन करके इसमें छुपी जानकारी का पता लगाया जाता है। इसके साथ ही क्यूआर कोड में कोई खास टेक्स्ट, फोटो, यूआरएल या फिर मोबाइल नंबर भी छुपाया जा सकता है। इसी क्यूआर कोड को स्कैन करने मात्र से व्यक्ति की कोविन एप पर उपलब्ध सम्पूर्ण जानकारी जैसे कोरोना टीकाकरण की जानकारी, वैक्सीन की फस्र्ट डोज, सैकंड डोज, बूस्टर डोज, कोविड वैक्सीन का सर्टिफिकेट आदि की जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। जिसे क्यूआर कोड के साथ मेप कर दिया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियर कपिल परमार ने बताया कि इस ईमूनोबैंड को हाथ की कलाई मे पहना जाता है। जिस पर एक क्यूआर कोड प्रिंट रहता है। इसमें क्यूआर कोड तकनीकी का उपयोग किया जाता है। क्यूआर कोड का पूरा नाम ‘क्विक रेस्पॉन्स कोड’ होता है। क्यूआर कोड एक ऐसा पैटर्न होता है, जिसमें किसी व्यक्ति या वस्तु की जानकारी छुपी हुई रहती है। इसको स्कैन करके इसमें छुपी जानकारी का पता लगाया जाता है। इसके साथ ही क्यूआर कोड में कोई खास टेक्स्ट, फोटो, यूआरएल या फिर मोबाइल नंबर भी छुपाया जा सकता है। इसी क्यूआर कोड को स्कैन करने मात्र से व्यक्ति की कोविन एप पर उपलब्ध सम्पूर्ण जानकारी जैसे कोरोना टीकाकरण की जानकारी, वैक्सीन की फस्र्ट डोज, सैकंड डोज, बूस्टर डोज, कोविड वैक्सीन का सर्टिफिकेट आदि की जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। जिसे क्यूआर कोड के साथ मेप कर दिया जाता है।
कहां पर होगा उपलब्ध
इस ईमूनोबैंड की सर्विस ई-मित्र पर उपलब्ध हैं। जो व्यक्ति इस ईमूनोबैंड की सेवा का लाभ लेना चाहता है। वह किसी भी नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाकर कुछ बेसिक डिटेल्स जैसे नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि देकर रजिस्ट्रेशन करा सकता है। फिलहाल इस योजना की शुरुआत प्रथम चरण में जयपुर मे स्थित ई-मित्र केंद्रों पर की गई है। शीघ्र ही इस योजना की शुरुआत राजस्थान के सम्पूर्ण जिलों के ई-मित्र केंद्रों में कर दी जाएगी।
इस ईमूनोबैंड की सर्विस ई-मित्र पर उपलब्ध हैं। जो व्यक्ति इस ईमूनोबैंड की सेवा का लाभ लेना चाहता है। वह किसी भी नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाकर कुछ बेसिक डिटेल्स जैसे नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि देकर रजिस्ट्रेशन करा सकता है। फिलहाल इस योजना की शुरुआत प्रथम चरण में जयपुर मे स्थित ई-मित्र केंद्रों पर की गई है। शीघ्र ही इस योजना की शुरुआत राजस्थान के सम्पूर्ण जिलों के ई-मित्र केंद्रों में कर दी जाएगी।