#प्यासा_अस्पताल: ठंडा तो दूर साफ पानी तक नहीं मिलता
जिन अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को सेहतमंद होने के लिए साफ पानी पीने की हिदायत देते नहीं थकते, वहीं मरीजों और तीमारदारों को गंदा पानी पिलाया जा रहा है। दिखावे के लिए इन अस्पतालों में आरओ प्लांट लगे हुए हैं, लेकिन आलम यह है कि एक भी काम नहीं कर रहा। वहीं वाटर कूलर में कीड़े तैरते नजर आ रहे हैं।
हाड़ौती के सबसे बड़े अस्पताल लोगों को बीमार करने पर तुले हुए हैं। जिन अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को सेहतमंद होने के लिए साफ पानी पीने की हिदायत देते नहीं थकते, वहीं मरीजों और तीमारदारों को गंदा पानी पिलाया जा रहा है। दिखावे के लिए इन अस्पतालों में आरओ प्लांट लगे हुए हैं, लेकिन आलम यह है कि एक भी काम नहीं कर रहा। वहीं वाटर कूलर की टंकियों की तलहटी में कीड़े तैरते हुए साफ देखे जा सकते हैं।
एमबीएस, जेके लॉन और नए अस्पताल में आने वाले मरीजों को साफ पानी मुहैया कराने के लिए 12 आरओ सिस्टम लगाए गए हैं, लेकिन इनमें से 11 खराब पड़े हैं। अधिकांश आरओ सिस्टम डेढ़ से दो साल पहले खराब हुए थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन को अब तक इन्हें ठीक कराने की फुर्सत ही नहीं मिली है। सिर्फ न्यू मेडिकल कॉलेज में एक आरओ चालू है, लेकिन इस पर भी ताला पड़ा हुआ है। वहीं पानी ठंडा करने के लिए 26 वाटर कूलर लगे हुए है, जिनमें से 22 खराब पड़े हैं। कई को तो कबाडख़ाने में फेंक दिया गया है।
टंकियों का गंदा पानी पीजिए
एमबीएस अस्पताल में सात आरओ सिस्टम लगे हुए है, लेकिन एक भी चालू नहीं है। वाटर कूलर में सीधे टंकियों से सप्लाई होने वाला पानी भरा जा रहा है। पत्रिका टीम ने रविवार अस्पताल के वाटर कूलर खोलकर देखे तो उनमें मटमैला पानी भरा था। सफाई का आलम यह था कि वाटर कूलर में नीचे गंदगी भरी थी। यह हाल अस्पताल के सभी वाटर कूलरों का था।
कैद में आरओ
तीनों अस्पतालों में से सिर्फ नए अस्पताल के जिरिएट्रिक ब्लॉक में लगा आरओ सिस्टम ठीक है। इसे छह महीने पहले एक दानदाता ने लगवाया था, लेकिन इसके बाद भी मरीजों और तीमारदारों को साफ पानी पीने को नहीं मिल रहा। वजह है अस्पताल प्रबंधन की मनमानी। जिसके चलते उन्होंने इस आरओ सिस्टम को बंद करके ताला डलवा दिया। जिसके चलते आरओ के साथ लगा वाटर कूलर भी खराब हो गया। वहीं एक आरओ को तो वाटर कूलर से जोड़ा तक नहीं गया है।
रखरखाव की सुध ही नहीं
अस्पताल प्रबंधन दानदाताओं से आरओ सिस्टम और वाटर कूलर लगवाने में बिल्कुल भी पीछे नहीं रहता, लेकिन बात जब इनके रखरखाव की आती है तो पल्ला झाड़ लिया जाता है। हालत यह है कि आरओ सिस्टम और वाटर कूलर के सालाना मेंटिनेंस तक का इन अस्पतालों में कोई इंतजाम नहीं है। जिसके चलते एक बार यह चीजें खराब होते ही कबाड़ में फेंक दी जाती हैं।
जच्चा-बच्चा का तो ख्याल ही नहीं
जच्चा-बच्चा को शायद साफ पानी की जरूरत ही नहीं पड़ती। तभी तो जेके लॉन जैसे बड़े अस्पताल में एक भी आरओ सिस्टम नहीं लगा हुआ। नतीजन यहां भर्ती होने वाली महिलाओं को गंदा पानी ही पीना पड़ता है। जिसका खामियाजा भुगतते हैं यहां पैदा होने वाले बच्चे। जिन्हें जन्म से ही पीलिया जैसी घातक बीमारियां घेर लेती हैं।