कमाई का मौका गंवा रही परिषद चंबल सभारी के पर्यटन सीजन प्रारंभ हुए 20 दिन होने को है, लेकिन अभी तक नगर परिषद ने बोटिंग शुरू नहीं कराई है। जिस कारण आर्थिक रूप से तंगहाल चल रही परिषद कमाई का अच्छा मौका छोड़ रही है। वहीं मप्र की सीमा में वन विभाग संचालित बोटिंग प्रारंभ हो चुकी है। मजबूर धौलपुर के पर्यटक मप्र की सीमा में जाकर बोटिंग कर रहे हैं।
एक अक्टूबर से प्रारंभ होता है सीजन मानदवन्यजीव प्रतिपालक राजीव तोमर ने बताया कि नगरपरिषद प्रति वर्ष ही देरी से बोटिंग शुरू करती है। एक अक्टूबर से पर्यटन सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन हमारी सीमा में आने वाले देशी विदेशी पर्यटक चंबल सफारी की आस में इधर-उधर टाइम पास कर जर्जर रास्तों से मजबूरन एमपी सीमा में जाकर बोटिंग कर जलीय जीवों के साथ परिंदों को निहारते हैं। एमपी में पर्यटकों को दूरबीन आदि उपकरण भी उपलब्ध कराए जाते हैं। राजस्थान बोट क्लब में ऐसा कुछ नहीं है।
मप्र की तर्ज पर शुरू की गई सफारी मप्र की चम्बल सफाई योजना की तर्ज पर धौलपुर नगर परिषद ने चंबल नदी पर बोटिंग की सुविधा शुरू की थी, लेकिन अब यह सिर्फ दिखावा ही रह गई है। बोटिंग ट्रेक बदहाल है, वहां गंदगी पड़ी हुई है। लुभाने के लिए बनाई झोंपड़ी, कुर्सियां नदारद हैं। इससे हमारी यहां आने वाले सैलानी मप्र में जा रहे हैं। हालांकि वहां ज्यादा रेट है, लेकिन चंबल आने वाला सैलानी बोटिंग करना ही पसंद करता है। धौलपुर सीमा में बोटिंग रेट्स कम हैं, इसलिए पर्यटक इसी उम्मीद से ज्यादा आते हैं, लेकिन वह मायूस होकर लौट रहे हैं।
खिन्नोट में जंगली जानवर की दस्तक से ग्रामीण भयभीत सरमथुरा. वन्यजीवों को जंगलों से निकलकर आबादी क्षेत्र की ओर रुख करते देख ग्रामीण भयभीत हो गए हैं। क्षेत्र के खिन्नोट गांव में जंगली जानवर की फिर से दस्तक देख वनविभाग के अधिकारी भी सक्रिय हो गए हैं। दूसरी बार तो ग्रामीणों ने टार्च की रोशनी में जानवर को आंखों से देखने का दावा किया है। ग्रामीण दावा कर रहे है कि यहेे पैंथर हैं।
ग्रामीणों को भयभीत देख वनविभाग ने खिन्नोट के जंगल में पिंजरा लगाया है। पांच दिन व्यतीत होने के बाद वनविभाग का पिंजरा खाली है। वनविभाग जानवर को पकडऩे के लिए पिंजरा में सभी प्रयत्न कर लिए हैं, लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई है। गौरतलब है कि 20 दिन पूर्व खिन्नोट गांव में जंगली जानवर के हमले से दो पशुओं की मौत हो गई थी। जिसके बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। ग्रामीण रातभर जगार कर जंगली जानवर की निगरानी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने दो दिन रात में आंखों से जानवर को गांव में घूमते देख दशहत का माहौल बना हुआ है। वनविभाग ने ग्रामीणों को भयभीत देख जानवर की पहचान करने के लिए गांव में कैमरा लगाया था। कैमरे से जानवर पर निगाह रखी जा रही है। लेकिन कैमरे की हद में जानवर नही आ सका है। जानवर के हमले में एक पढ्डा व एक बछड़े की मौत हो चुकी हैं।
ग्रामीणों को भयभीत देख वनविभाग ने खिन्नोट के जंगल में पिंजरा लगाया है। पांच दिन व्यतीत होने के बाद वनविभाग का पिंजरा खाली है। वनविभाग जानवर को पकडऩे के लिए पिंजरा में सभी प्रयत्न कर लिए हैं, लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हुई है। गौरतलब है कि 20 दिन पूर्व खिन्नोट गांव में जंगली जानवर के हमले से दो पशुओं की मौत हो गई थी। जिसके बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। ग्रामीण रातभर जगार कर जंगली जानवर की निगरानी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने दो दिन रात में आंखों से जानवर को गांव में घूमते देख दशहत का माहौल बना हुआ है। वनविभाग ने ग्रामीणों को भयभीत देख जानवर की पहचान करने के लिए गांव में कैमरा लगाया था। कैमरे से जानवर पर निगाह रखी जा रही है। लेकिन कैमरे की हद में जानवर नही आ सका है। जानवर के हमले में एक पढ्डा व एक बछड़े की मौत हो चुकी हैं।