सोलर लाइटें खराब, मरम्मत की नहीं सुध पार्क में किनारों पर पूर्व में सोलर लाइट लगवाई गई थी लेकिन अब ये खराब हो चुकी हैं। कुछ ही लाइट जल पाती है। रोशनी नहीं होने से शाम होते ही पार्क में अंधेरा छा जाता है जिससे लोग यहां आने से कतराते हैं। साथ ही शाम के समय नशे करने वाले यहां मंडराते रहते हैं, जिससे लोगों को वारदात होने की आशंका बनी रहती है।
एक-एक कर टूट गए व्यायाम उपकरण यहां उद्यान में कई साल पहले व्यायाम उपकरण लगवाए गए थे। जिस पर स्थानीय लोग आकर सुबह-शाम के समय व्यायाम करते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह टूट गए। कई उपकरणों के तो कलपुर्जे तक गायब हो चुके हैं। ज्यादातर खराब पड़े हैं। वहीं, पार्क में लगी फिसल पट्टी भी टूट गई हैं, छोटे बच्चे इन पर चढ़ते हैं और अपने हिसाब से फिसलने का प्रयास करते हैं। जिससे कई दफा बच्चे चोटिल भी हो चुके हैं।
खाद बीज, उर्वरक माफिया के हौसले बुलंद, वसूल रहे मनमाने दाम मानसून की अनियमित बारिश ने बाजरे की फसल को बुरी तरह प्रभावित कर किसानों को रुला दिया और अब सरसों ओर गेंहू की फसल के लिए खेतों की तैयारी में जुटे किसानों को डीएपी की कमी और कमी के चलते हो रही कालाबाजारी ने बुरी तरह तोड़ कर रख दिया है। किसानों का आरोप है कि खाद बीज उर्वरक विके्रता माफिया का रूप ले चुके हैं जो सभी संबंधित नियामकों को भी अपने प्रभाव में रखते हैं जिससे न तो इनपर कोई कार्रवाई होती है और न ही इन्हें किसी का डर है।
क्षेत्र में सरसों ओर गेंहू की बुबाई के लिए खेत तैयार करने में डीएपी का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। लेकिन कई दिनों से डीएपी उपलब्ध ही नहीं हो पा रहा था। केवल कुछ बड़े दुकानदारों पर ही डीएपी उपलब्ध था जिसे मनमानी कीमतों पर बेचा जा रहा था। साथ ही बिल भी नही दिया जा रहा था। जो किसान बिल मांगते हंै उनको डीएपी देने से मना कर दिया जाता है। इन हालात में किसानों का आरोप है कि उन्हें मजबूरन दोगुनी तक कीमतों पर माल खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। अब पिछले तीन दिनों से डीएपी उपलब्ध तो हो गया है लेकिन उसकी कीमत काफी बढक़र ली जा रही है। उसके साथ किसानों को अवांछित उत्पाद खरीदने को विवश किया जा रहा है।
क्षेत्र में सरसों ओर गेंहू की बुबाई के लिए खेत तैयार करने में डीएपी का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। लेकिन कई दिनों से डीएपी उपलब्ध ही नहीं हो पा रहा था। केवल कुछ बड़े दुकानदारों पर ही डीएपी उपलब्ध था जिसे मनमानी कीमतों पर बेचा जा रहा था। साथ ही बिल भी नही दिया जा रहा था। जो किसान बिल मांगते हंै उनको डीएपी देने से मना कर दिया जाता है। इन हालात में किसानों का आरोप है कि उन्हें मजबूरन दोगुनी तक कीमतों पर माल खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। अब पिछले तीन दिनों से डीएपी उपलब्ध तो हो गया है लेकिन उसकी कीमत काफी बढक़र ली जा रही है। उसके साथ किसानों को अवांछित उत्पाद खरीदने को विवश किया जा रहा है।