धौलपुर

क्षमता 22 लाख लीटर, फिर भी 2500 उपभोक्ताओं को पानी नसीब नहीं

13 करोड़ की भारी भरकम लागत और उसके बाद भी पेयजल वितरण की बदतर हालात सरकारी की कार्यप्रणाली की पोल खोल रही है। जहां प्रतिदिन 22 लाख लीटर बेशकीमती भूजल के दोहन और वितरण के बाद भी वास्तविक उपभोक्ता परेशान है।

धौलपुरNov 10, 2024 / 06:45 pm

Naresh

– 13 करोड़ की परियोजना के बाद भी पेयजल संकट बरकरार
dholpur, राजाखेड़ा. 13 करोड़ की भारी भरकम लागत और उसके बाद भी पेयजल वितरण की बदतर हालात सरकारी की कार्यप्रणाली की पोल खोल रही है। जहां प्रतिदिन 22 लाख लीटर बेशकीमती भूजल के दोहन और वितरण के बाद भी वास्तविक उपभोक्ता परेशान है। जबकि हजारों अवैध कनेक्शनों से पानी खुले में नालियों में बहकर बर्बाद हो रहा है। इस गंभीर लापरवाही से भू-जल स्तर पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है लेकिन सरकार के पानी बचाओ बिजली बचाओ के नारे का खुले में मजाक उड़ता देख सरकार के जारी किए स्लोगनों पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे है।
प्रशासन का नहीं दिख रहा कोई हस्तक्षेप

जहां विभाग को भूजल की बर्बादी, स्कीम की सफलता, पाइप लाइनों के खराब होने, सरकारी राजस्व की बर्बादी को लेकर कोई चिंता नहीं है। नागरिकों का आरोप है कि प्रसासनिक अधिकारी भी इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है जो लगातार इस मुद्दे पर जनाक्रोश के बाद भी विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं या करना नहीं चाह रहे हैं। लोगों का आरोप है कि राज्य में जलदाय विभाग में हुए 900 करोड़ के कथित घोटाले में जब प्रथमिकी दर्ज की गई है तो राजाखेड़ा स्कीम की जांच क्यों नहीं की गई। तमाम शिकायतों के बाद भी जिला प्रशासन और न ही उपखंड प्रशासन ने ही ध्यान दिया। साथ ही कोई कार्रवाई नहीं हुई।
लताड़ का भी अधिकारियों पर नहीं दिखा असर

राजाखेड़ा के नागरिको ने प्रशासन की बेरुखी पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में भी इस मुद्दे पर वाद दायर किया था। प्राधिकरण न्यायाधीश ने कई बार विभागीय अधिकारियों को जमकर लताड़ लगा कर तल्ख टिप्पणियां की है। लेकिन विभागीय अधिकारियों के कानों पर जूं तक नही रेंगी। अभी भी अवैध कनेक्शन जस की तस बने हुए हैं।
10 हजार परिवार और 25 फीसदी के पास ही कनेक्शन

धौलपुर को आशान्वित जिला माना गया है, जहां विकास के लिए अधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है लेकिन हालात यह है कि 13 करोड़ की नवीन स्कीम के बाद भी विभाग के उपभोक्ताओं की संख्या केवल 25 फीसदी ही है। जबकि यंहा 10 हजार परिवार निवास करते हैं। 75 फीसदी आबादी आज भी मनमानी जगहों पर लाइन तोडकऱ पाइप डालकर पानी ले रही है। जिससे लाइन तो ध्वस्त हो ही रही है, पेयजल में भी नालियो का गंदा पानी समाहित होकर प्रदूषित हो रहा है।

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