छैंनी-हथौड़े से बना रहे आटा चक्की जीवनयापन के लिए यह सभी परिवार पत्थर से बनी आटा चक्की और सिलवट तैयार करते हैं। पुरुष व महिला दिनभर यहां पत्थर पर छैंनी-हथौड़े मारते हुए दिख जाएंगे। एक दिन में करीब 5 से 6 पीस तैयार हो जाते हैं। राजेन्द्र बताता है कि साहब…अब पहले से कम खरीदारी रह गई है। मेले या अन्य तीज-त्योहार के दौरान ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोग ही खरीदते हैं। जिससे एक वक्त की रोजी-रोटी का इंतजाम हो जाता है। वहीं चमेली कहती है कि इतने साल हो गए, यहां रहते हुए पर प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली। अब तो नगर परिषद वाले भी फुटपाथ खाली करने को कह रहे हैं, अब कहां जाए हम…।
राजस्थान के नहीं, इसलिए लाभ नहीं ज्यादातर परिवार उत्तरप्रदेश से आकर करीब 30 साल पहले आकर बस गए थे। कई लोगों का जन्म तो धौलपुर में ही हुआ है। बुजुर्ग संपत कहता है कि सरकारी दफ्तर में जाते हैं तो यूपी का होना बताकर कागजात नहीं बनने की बात कहते हैं। कहते हैं कि धौलपुर से जुड़ा कागजात लेकर आओ। इस वजह से राशन कार्ड भी नहीं बन पा रहे हैं। वे कहते हैं पाकिस्तान से आए हिन्दु विस्थापितों को नागरिकता मिल सकती है तो उन्हें राजस्थान का नागरिक नहीं माना जा सकता क्या। इन परिवारों के बच्चे भी स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। एक सरकारी शिक्षक नरेन्द्र यादव सप्ताह में दो-तीन आता है जो आसपास के बच्चों को पढ़ाता है, इसके अलावा कोई उनकी मदद नहीं कर पा रहा है।
घुमंतू परिवारों को फ्री में भूखण्ड देगी सरकार प्रदेश में घुमंतू परिवारों के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। इसमें उन्हें एक स्थाई ठिकाना बनाने के लिए अब भूखण्ड उपलब्ध कराया जाएगा। राजस्थान के सभी गांवों में घुमंतू व अद्र्धघुमंतू आवासहीन परिवारों को रियायती दर पर 300 वर्गगज जमीन आवंटित करने की दरें तय कर दी गई हैं। राज्य सरकार इन परिवारों को 2 से 10 रुपए प्रतिवर्ग मीटर के हिसाब जमीन देगी। इन परिवारों को सरकार पट्टे देगी।
– राज्य सरकार की योजनाओं के लाभ के लिए राजस्थान का मूल निवासी होना आवश्यक है। अन्य प्रदेश से आकर बसे घुमंतू प्रजाति के व्यक्तियों को लाभ का प्रावधान नहीं है। – देवेन्द्र सिंह, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग