क्यों कहा जाता है न्याय के देवता
भगावन शनिदेव का संबंध न्याय और कर्मफल से जोड़ा गया है। धार्मकि मान्यताओं के अनुसार वे व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार उचित दंड या शुभ फल प्रदान करते हैं। मान्यता है कि जब किसी मनुष्य के जीवन में बुरा समय चल रहा होता है, तो कहा जाता है कि शनिदेव उसकी परीक्षा ले रहे होते हैं। जो व्यक्ति को उसके कर्मों की सजा दे रहे होते हैं।
शनिदेव रखते हैं कर्मों का लेखा-जोखा
इसके साथ ही शनि की साढ़े साती और ढैया जैसे समय-चक्र के माध्यम से शनिदेव अपने उपासकों को उनके जीवन के कर्मों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। यह समय गलत कर्म करने वाले जातकों के लिए कठिन हो सकता है। लेकिन यदि व्यक्ति अच्छे कर्म करता है और साथ ही भगवान शनिदेव की पूजा करता है, तो उसे शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि जो लोग धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हैं उनको भगवान शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है साथ ही जीवन आनंदमय गुजरता है।
किसने दिया शनि देव को वरदान
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शनिदेव को भगवान शिव का वरदान प्राप्त है। जिसमें उन्होंने शनिदेव को मनुष्यों के कर्मों के अनुसार न्याय और फल देने का वचन दिया था । एक अन्य कथा के अनुसार यह भी माना जाता है कि शनिदेव भगवान सूर्य के पुत्र हैं। उन्होंने कठोर तपस्या करके यह शक्ति प्राप्त की कि वे संसार के हर प्राणी को न्याय दिलाएंगे। इसके अलावा शनिदेव को उनकी न्यायप्रियता के लिए मृत्यु के देवता यमराज से भी सम्मान मिला था। यही वजह है कि शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मों का फल देने वाला माना जाता है।