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Saphala Ekadashi 2024: कब मनाई जाएगी सफला एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Saphala Ekadashi 2024: सफला एकादशी व्रत का पालन श्रद्धा और निष्ठापूर्वक करने से जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

जयपुरDec 21, 2024 / 09:15 am

Sachin Kumar

Saphala Ekadashi 2024

Saphala Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में सफला एकादशी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सफला एकादशी के दिन किए गए सभी कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होते हैं। इसलिए इस एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं साल 2024 के इस आखिरी महा में कब मनाई जाएगी सफला एकादशी।
सफला एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस बार सफला एकादशी 26 दिसंबर 2024 को गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ दिन पर व्रत करने से घर में सुख-शांति का वास होता है।

सफला एकादशी का महत्व

सफला एकादशी के शुभ पर्व पर भगवान अच्युत जी की उपासना की जाती है। वहीं इनके साथ ही भगवान श्रीहरि का पूजन किया जाता है। इस त्योहार पर भक्त पूजा, हवन और भंडारे आदि का आयोजन करते हैं। मान्यता है कि सफला एकादशी की रात जागरण करने से मन इच्छा पूरी होती है और साथ ही भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सफला एकादशी शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार सफला एकादशी की शुरुआत 25 दिसंबर को रात 10 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इसका समापान 27 दिसंबर को करीब रात के 12 के बाद होगा। लेकिन एकादशी तिथि 26 दिसंबर को है तो सफला एकादशी का शुभ समय 26 दिसंबर को ही सुबह 7 बजकर 12 मिनट से लेकर 9 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।

सफला एकादशी व्रत और पूजा विधि

धार्मिक मान्याताओं के अनुसार सफला एकादशी का व्रत करने से एक दिन पहले जातक को दशमी के दिन केवल सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। इसके बाद संध्या के समय दातुन करके पवित्र हों और रात्रि को बहुत हल्का भोजन करें। जब बिस्तर पर सोने के लिए जाए तो भगवान श्री नारायण का स्मरण करते हुए शयन करें।

एकादशी के दिन व्रत एवं पूजा

सफला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद व्रत का संकल्प करें और भगवान विष्णु की पूजा के लिए सामग्री एकत्रित करें। जिसमें पुष्प, नारियल, तुलसी दल, धूप, दीप, चंदन, फल, मिष्ठान्न आदि चीजें शामिल करें।
इसके साथ ही घर के पूजा स्थल पर घी का दीप जलाकर भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें, क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। इसलिए बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते। पूजा के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का चिंतन करते रहें। रात्रि में भगवान के नाम से दीपदान करें और एकादशी कथा का पाठ करें। आरती एवं भजन करते हुए रात्रि जागरण करें।
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