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Falgun Amavasya Katha: जब ऋषि दुर्वासा ने दिया देवताओं को श्राप, पढ़ें फाल्गुन अमावस्या की पौराणिक कथा

Falgun Amavasya Katha: भारत के हर व्रत त्योहार के मनाए जाने के पीछे कोई न कोई कहानी है, अमावस्या व्रत और स्नान से जुड़ी कहानी भी रोचक है, आइये जानते हैं ऋषि दुर्वासा के श्राप की कथा और उसका प्रभाव..

Mar 10, 2024 / 12:14 pm

Pravin Pandey

फाल्गुन पौराणिक कथा

फाल्गुन अमावस्या की कथा के अनुसार एक बार ऋषि दुर्वासा इंद्र देव और अन्य देवताओं पर नाराज हो गए। इसके बाद उन्होंने इंद्र देव और दूसरे देवताओं को श्राप दे दिया था। ऋषि दुर्वासा के श्राप से सभी देवता कमजोर हो गए और इसका फायदा उठाकर आक्रमण कर दिया और देवताओं के अशक्त होने से युद्ध जीत गए। असुरों से हारने के बाद सभी देवता मदद के लिए जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु के पास गए। उस समय श्रीहरि विष्णु ने सभी देवताओं की बात सुनी और दैत्यों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने की सलाह दी। सभी देवताओं ने समुद्र मंथन करने के लिए असुरों से बात की और उनको इसके लिए राज़ी किया,आखिरकार असुर मान गए देवताओं के साथ संधि कर ली।

इसके बाद जब समुद्र से अमृत निकला तब इंद्र का पुत्र जयंत अमृत का कलश अपने हाथों में लेकर आकाश में उड़ गया। इसके बाद सभी दैत्य जयंत का पीछा करने लगे और दैत्यों ने जयंत से अमृत का कलश छीन लिया। इससे फिर युद्ध शुरू हो गया और बारह दिनों तक अमृत का कलश पाने के लिए देवता और असुर घमासान युद्ध करते रहे। इस भीषण युद्ध के दौरान कलश से अमृत की कुछ बूंदें धरती पर प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिर गईं। इस समय चंद्रमा, सूर्य, गुरु, शनि ने अमृत कलश की असुरों से रक्षा की थी। इधर जब यह कलह बढ़ने लगा, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप रखकर असुरों का ध्यान भटकाते हुए देवताओं को छल से अमृतपान करा दिया, तब से ही अमावस्या की तिथि पर इन जगहों पर स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।

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