1. काल भैरव जयंती के दिन सुबह स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. काल भैरव की पूजा रात में करने का नियम है, इसलिए शाम को किसी मंदिर में जाएं और भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने चौमुखा दीपक जलाएं।
3. अब फूल, इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल आदि चीजें अर्पित करें।
4. यहां आसन पर बैठकर कालभैरव चालीसा पढ़ें।
5. पूजा पूरी होने के बाद आरती करें और जानें-अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
काल भैरव की पूजा से भक्तों को अभय प्राप्त होता है। खास तौर से तंत्र बाधा से भी राहत मिलती है। अच्छे कर्म करने वालों को काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है।