धर्म-कर्म

Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा

Utpanna Ekadashi: उत्पन्ना एकादशी का व्रत रविवार, 20 नवंबर 2022 को रखा जाएगा।- इसी दिन हुआ था देवी एकादशी का जन्म

Nov 20, 2022 / 11:16 am

दीपेश तिवारी

Utpanna Ekadashi Vrat Katha: साल में आने वालीं कुल 24 एकादशी में हर एकादशी का अपना कुछ खास महत्व है, साथ ही हर एकादशी की एक विशेष कथा भी है। ज्ञात हो कि एकादशी का दिन भगवान विष्णु को उतना ही प्रिय है, जितनी भगवान शिव को त्रयोदशी।

ऐसे में इस माह रविवार, 20 नबंबर को आने वाली उत्पन्ना एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी का जन्म हुआ,एकादशी तिथि होने के चलते इनका नाम एकादशी कहलाया। तो चलिए आज जानते हैं उत्पन्ना एकादशी की कथा (Utpanna Ekadashi Katha)…

दरअसल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सतयुग में एक नाड़ीजंघ नामक राक्षस हुआ जिसके पुत्र का नाम मुर था। मुर एक महापराक्रमी और बलवान दैत्य था, जिसने इंद्र, वरुण, यम, अग्नि, वायु, ईश, चंद्रमा, नैऋत आदि सभी के स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। यानि उससे सभी देवता पराजित हो चुके थे। और वे सभी मायावी मुर से बचने के लिए भागे-भागे फिर रहे थे।

जिसके बाद देवता अपनी व्यथा लेकर सभी कैलाशपति शिव की शरण में पहुंचे और सारा वृत्तांत उन्हें कह सुनाया। देवों के देव महादेव शंकर ने इस परेशानी के निवारण के लिए देवताओं को जगत के पालनहार, कष्टों का नाश करने वाले भगवान विष्णु के पास जाने के लिए कहा।

10 हजार साल चला युद्ध
भोलेनाथ की आज्ञा पर देवता श्रीहरि विष्णु के पास पहुंचे और विस्तार से इंद्र से अपनी पीड़ा बताई। देवताओं को मुर से बचाने का वचन देते हुए भगवान विष्णु रणभूमि में पहुंच गए। यहां मुर सेना सहित देवताओं से युद्ध कर रहा था। विष्णु जी को देखते ही उसने उन पर भी प्रहार किया। कहते हैं कि मुर-श्रीहरि के बीच 10 हजार सालों तक ये युद्ध चला था, विष्णु जी के बाण से मुर का शरीर छिन्न-भिन्न हो गया लेकिन वह हारा नहीं।

 

Must Read- उत्पन्ना एकादशी 2022 का मुहूर्त, जानें क्यों खास है यह व्रत

विष्णु जी का अंश से उत्पन्न हुईं एकादशी
युद्ध करते हुए भगवान विष्णु भी थक गए और बद्रीकाश्रम गुफा में जाकर आराम करने लगें। लेकिन दैत्य मुर यहां भी विष्णु का पीछा करते हुए आ पहुंचा। वह श्रीहरि पर वार करने ही वाला था कि तभी भगवान विष्णु के शरीर से कांतिमय रूप वाली देवी का जन्म हुआ। और उस देवी ने राक्षस का वध कर दिया। भगवान विष्णु ने देवी से कहा कि आपका जन्म मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को हुआ है इसलिए आज से आपका नाम एकादशी होगा। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन ही देवी एकादशी उत्पन्न हुई थी, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। ऐसे में मान्यता है कि जो कोई एकादशी का व्रत करता है, उसे बैकुंठलोक की प्राप्ति होती है।

 

Must Read- नवंबर 2022 का त्यौहार कैलेंडर, जानें कब हैं कौन-कौन से व्रत, पर्व व त्यौहार?

 

पाप भी मिट जाते हैं…
ज्ञात हो कि एकादशी का व्रत विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से वर्तमान के साथ पिछले जन्म के पाप भी मिट जाते हैं। साथ ही कई पीढ़ियों के पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ऐसे में जो लोग एकादशी का व्रत शुरू करना चाहते हैं वह मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी से इसकी शुरुआत कर सकते हैं इसका कारण यह है कि शास्त्रों में इसे ही पहली एकादशी माना गया है। उत्पन्ना एकादशी व्रत में पूजा के बाद कथा जरूर पढ़नी चाहिए, माना जाता है कि ऐसा करने से ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.