अगहन मास में इस तिथि को हुआ था भगवान राम और सीता जी का विवाह
ऐसे समझे दोनों की कुंडली
– पहली बार विवाह कर रहे लड़के-लड़की की कुंडली का मिलान 10 प्रकार से किया जाता है और हर प्रकार का अपना-अपना महत्व है। सिर्फ मांगलिक देखकर ही विवाह तय नहीं किया जाता। अन्य ग्रहों की चाल, दृष्टि, समय और ऊंच-नीच भी देखा जाता है।
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– अगर लड़के-लड़की सिंह और कुंभ राशि में हो तो कभी मेल नहीं हो सकता। भले ही इन राशि वाली कुंडलियों के ग्रह असामान्य रूप से अच्छे ही क्यों न हो, अतः उनकी कुंडलियों के द्वादश भाव का सम्पूर्ण विचार किये बिना विवाह संबंध की राय नहीं देनी चाहिए।
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– मंगल अग्नि तत्व का ग्रह है जबकि बुध पृथ्वी तत्व का, इसलिए इनका मेल नहीं हो सकता। किन्तु मंगल, सूर्य और मंगल, गुरु में अच्छा मेल रहता है। मंगल और शनि का मेल नहीं बैठता। यदि एक कुंडली में महा दरिद्र योग है तो उसके योग्य संबंध होने से लाभ की बजाय हानि ही होती है।
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– कुंडली मिलान का विचार करते समय लड़के-लड़की दोनों की कुंडलियों के लग्न के स्वामी और चंद्र राशि के स्वामी परस्पर मित्र होने पर भी षडाष्टक योग या द्विदार्दाश योग नहीं होना चाहिए। एक कुंडली में संतान योग और दूसरी कुंडली में वन्ध्यत्व योग हो तो उसका परस्पर विवाह नहीं करना चाहिए। एक में उत्साह, चैतन्य और दुसरे में जड़ता, दरिद्र होना ऐसा संबंध भी वर्जित होना चाहिए।
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– कुंडली मिलान जरुरी होता है आजकल की सामाजिक व्यवस्था में अनेक वैवाहिक दम्पत्तियों के संबंध सही नहीं होते और अंततः विवाह टूटने की स्थिति में पहुंच जाता है। ऐसी दुखद घटनाओं को रोकने के लिए सिर्फ नाड़ी दोष या मंगल दोष का विचार कर लेने से कुंडली के अन्य दोष दूर नहीं होते। इसीलिए विवाह पूर्व कुंडली का मिलान अलग-अलग तरीकों से करके ही किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए। अगर दोनों में से किसी एक की कुंडली में ग्रह की स्थिति थोड़ी ऊपर नीचे हो तो उसका ज्योतिषिय उपाय करके विवाह करने में कोई दोष नहीं होता।
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