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Vishuvat Sankranti 2023: इस राशि वाले आज करें इसका दान, दूर होंगी सभी बाधाएं

आज मेष संक्रांति है, जिसे विषुवत संक्रांति (Vishuvat Sankranti 2023 ) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन विशेष वस्तुओं के दान से सभी बाधाएं दूर होती हैं। आइये उत्तराखंड के प्रसिद्ध ज्योतिषी डॉ. नवीन चंद्र जोशी से जानते हैं जानते हैं विषुवत संक्रांति को किन वस्तुओं का दान करना चाहिए।

Apr 14, 2023 / 05:29 pm

Pravin Pandey

vishuvat sankranti 2023

आज का पंचांगः ज्योतिषी डॉ. नवीन चंद्र जोशी के अनुसार श्रीसंवत 2080 श्रीशाके 1945 सूर्य उत्तरायण बसन्त ऋतु मेषार्क 1 गते वैशाख मास कृष्ण पक्ष शुक्रवार है। आज सूर्योदय 5.53 बजे हुआ है और सूर्यास्त 6.35 बजे होगा। आज के दिन राहु काल 10.30 बजे से 12 बजे तक रहा। इसके अलावा आज विषुवत संक्रांति पर्व यानी मेष संक्रान्ति पर्व है।

विषुवत संक्रांति मिथुन तुला कुंभ राशि को अपैट रहेगी तथा धनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र वालों को बाएं पैर में संक्रांति गई है। अतः अरिष्ट निवारण के लिए चांदी का पैर दही लाल वस्त्र अन्न का दान करें। साथ ही भगवान आशुतोष शिव के मंदिर में रुद्राभिषेक करें। इससे समस्त अरिष्ट व बाधाएं दूर होंगी । आज से मुंडन आदि मांगलिक कार्य भी शुरू हो रहे हैं। हालांकि विवाह आदि कार्य के लिए अभी इंतजार करना होगा।
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विषुवत संक्रांति के दिन इसका दान भी पुण्यफलदायी


1. कार्यक्षेत्र में तरक्की के लिए गुड़ का दानः धार्मिक ग्रंथों में मेष संक्रांति के दिन चावल और गुड़ का दान करने की भी बात कही गई है। गुड़ का संबंध सूर्य के साथ मंगल ग्रह से भी माना जाता है। मेष संक्रांति या विषुवत संक्रांति के ऊं घुणिः सूर्य आदित्यः मंत्र का जाप करते हुए गुड़ का दान करना चाहिए। इससे परिवार के लोगों में भाई चारा बढ़ता है और कार्य क्षेत्र में तरक्की मिलती है।
2. यह दान करने से नहीं होगी धन धान्य की कमीः धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मेष संक्रांति के दिन अपने वजन के बराबर गेहूं दान करने से भगवान सूर्य की कृपा बनी रहती है, घर में धन धान्य की कमी नहीं होती। इससे नौकरी और व्यापार में तरक्की होती है।

3. मनोकामना पूर्ति और पराक्रम में वृद्धि के लिएः मेष संक्रांति के दिन लाल फूल, लाल कपड़ा और लाल चंदन का दान करने और सूर्य देव के सिद्ध मंत्र का जाप लाल चंदन की माला से करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

4. इस घास का जल दूर करेगा रोगः देवभूमि उत्तराखंड में पाई जाने वाली कहरू घास को जल में डालकर उससे मकर संक्रांति के दिन स्नान से रोग दूर होते हैं। इसके अलावा जहां कहरू नहीं पाई जाती है, वहां लोगों को नीम के जल से स्नान करना चाहिए। इससे शरीर की विषाक्तता दूर होती है। इसीलिए इसे विषपत संक्रांति भी कहते हैं।

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