1. विनायक चतुर्थी के दिन गणेशजी के निमित्त जलाए गए दीपक की बार-बार जगह नहीं बदलनी चाहिए। वहीं दीपक गणेशजी के आसन पर भी नहीं रखना चाहिए।
2. विनायक चतुर्थी के दिन जिस जगह गणेशजी की स्थापना की जाती है और उनका आह्वान किया जाता है, उस जगह को सुनसान नहीं होने देना चाहिए। इस दिन मन वचन से खुद को शुद्ध रखें। इसके अलावा इस दिन ब्रह्मचर्य का ध्यान रखना चाहिए।
2. विनायक चतुर्थी के दिन जिस जगह गणेशजी की स्थापना की जाती है और उनका आह्वान किया जाता है, उस जगह को सुनसान नहीं होने देना चाहिए। इस दिन मन वचन से खुद को शुद्ध रखें। इसके अलावा इस दिन ब्रह्मचर्य का ध्यान रखना चाहिए।
3. गणेशजी की पूजा में तुलसीदल का इस्तेमाल न करें, इससे विनायक रूष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन काला रंग धारण करने से बचें।
4. विनायक चतुर्थी के दिन फलाहार में नमक का इस्तेमाल न करें। इसे नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
विनायक चतुर्थी पूजा विधिः पुरोहितों के अनुसार विनायक चतुर्थी व्रत के दिन इस तरह से पूजा-पाठ करना चाहिए। विनायक चतुर्थी की पूजा मध्याह्न में होती है, उसके अनुसार 23 फरवरी को गणपति की पूजा 11.25 एएम से 1.43 पीएम के बीच के समय करना चाहिए।
1. सुबह उठकर सबसे पहले स्नान ध्यान के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. घर के पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर गणेशजी को आसन दें।
3. गणेशजी को पीले फूलों की माला अर्पित करें, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत और दूर्वा अर्पित करें।
4. गणपति को मोदक और लड्डू का भोग लगाएं और व्रत कथा पढ़कर विनायक की आरती करें।
5. विनायक चतुर्थी की रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
2. घर के पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर गणेशजी को आसन दें।
3. गणेशजी को पीले फूलों की माला अर्पित करें, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत और दूर्वा अर्पित करें।
4. गणपति को मोदक और लड्डू का भोग लगाएं और व्रत कथा पढ़कर विनायक की आरती करें।
5. विनायक चतुर्थी की रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
ये भी पढ़ेंः Holashtak 2023: होलाष्टक में यह मंत्र करेगा बेड़ा पार, जानें कर सकते हैं कौन-कौन काम कॅरियर में सफलता, शत्रु को परास्त करने, संकट निवारण आदि के लिए इन मंत्रों का जाप करें
1. ॐ गं गणपतये नम:।
2. वक्रतुण्डाय हुं।
3. सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः
1. ॐ गं गणपतये नम:।
2. वक्रतुण्डाय हुं।
3. सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः
4. ॐ मेघोत्काय स्वाहा।
5. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
6. ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।