वास्तुशास्त्र के अनुसार
वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर के बाहर पहने जानी वाली चप्पलें या जूतों को घर के भीतर पहनकर प्रवेश किया जाता है तो बाहर की नकारात्मक ऊर्जा हमारे जूते, चप्पलों के जरिए घर में प्रवेश कर जाती है। इसके कारण घर में बीमारी, दरिद्रता, अशांति हावी होने लगती है, इसलिए बारह से जब भी घर में प्रवेश करें तो पहले जूते, चप्पल घर के बाहर ही उतार देनी चाहिए।
जूते-चप्पल घर के बाहर या घर के अंदर ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां से गंदगी पूरे घर में न फैले। घर के बाहर भी जूते-चप्पलों को व्यवस्थित ढंग से ही रखा जाना चाहिए। इधर-उधर कहीं भी रखे गए जूते-चप्पल घर में वास्तु दोष उत्पन्न करते हैं। अत: इससे बचना चाहिए। यदि घर में चप्पल पहनना ही पड़े तो घर के अंदर की चप्पल दूसरी रखें, जिसे बाहर पहनकर न जाएं। इसके बीमारियां कभी भी आपके घर के अंदर नहीं आएंगी। साथ ही नकारात्मक ऊर्जा जूतों के जरिए घर में प्रवेश नहीं कर पायेगी।
घर के वातावरण पर प्रभाव
प्राचीन ऋषि-मुनियों और ज्ञानियों ने भी कभी घर के भीतर गंदे चप्पल-जूते पहनकर जाने की बात नहीं कही। उनका मानना था कि जब भी हम बाहर के गंदे जूते घर के अंदर लेकर जाते हैं तो उससे घर का वातावरण खराब होता है। घर के भीतर गंदगी फैलती है। इसके अलावा हिन्दू मान्यताओं में घर को मंदिर के सामान माना जाता है, इसे एक पवित्र स्थल का दर्जा दिया जाता है। जिस तरह पवित्र स्थलों पर जूते पहनकर जाना सही नहीं है, उसी तरह घर के भीतर चप्पल ले जाना सही नहीं समझते।
वैज्ञानिक कारण
इसके पीछे धर्म ज्योतिष, वास्तु के अलावा वैज्ञानिक कारण भी है। यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना की स्टडी के अनुसार, हमारे जूतों और चप्पलों में 421 हजार बैक्टीरिया होते हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत हमारे खाने और पानी के साथ मिल जाते हैं। इस शोध से एक बात और सामने आई, कि हमारे जूतों-चप्पलों में 7 अलग-अलग तरह के 27 प्रतिशत बैक्टीरिया होते हैं, जो हमारे पाचन तंत्र से लेकर श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। जबकि घर के बाहर इन्हें रखने पर हमारा फ्लोर और प्राइवेट रूम इनसे प्रभावित होने से बच जाता है।
इसलिए घर के बार उतारे जूते-चप्पल
इस रिसर्च से यह सामने आया है कि हम जिन पब्लिक टॉयलेट्स का इस्तेमाल करते हैं, उसमें 2 मिलियन बैक्टीरिया प्रति स्क्वायर इंच के हिसाब से पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों कहना है कि आप सड़क पर पड़े कुत्ते की गंध और अन्य गन्दी चीजों से खुद को साफ समझते हैं, पर बारिश और पानी के सम्पर्क में आने पर उनके बैक्टीरिया आपके जूतों तक पहुंच जाते हैं। कहीं न कहीं ये हमारे संपर्क में आ ही जाते हैं।
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