माता ने राक्षसों का नाश करने का लिया संकल्प
धार्मिर ग्रंथों के अनुसार मां वैष्णो देवी ने त्रिकुट पर्वत पर अवतार लिया था। उन्होंने कठोर तपस्या की और अपनी दिव्य शक्तियों के बल पर असुरों को परास्त करने का संकल्प लिया। माना जाता है कि इस दौरान एक शक्तिशाली राक्षस भैरवनाथ ने उनका पीछा किया। वह देवी की तपस्या को भंग करना चाहता था। भैरव माता वैष्णो को परेशान करने लगा।देवी ने अलग-अलग जगह दिखाई अपनी लीली
मान्यता है कि माता ने राक्षस भैरव से बचने की कई स्थानों पर लीला रची, जिनमें बाण गंगा, चरन पादुका और अर्धकुंवारी जैसे पवित्र स्थल शामिल हैं। लेकिन भैरव माता की लीला को समझ नहीं पाया। क्योंकि उसको लगा कि देवी भैरव से डर कर भाग रही हैं। लेकिन अंत में माता अपने विक्राल रूप में आईं और भैरवनाथ का वध कर दिया। मान्यता है कि जिससे देवताओं और भक्तों को राक्षसों के अत्याचार से मुक्ति मिली।माता ने भैरव को दिया मोक्ष
भैरवनाथ की मृत्यु के बाद मां ने उसे मोक्ष प्रदान किया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो भक्त वैष्णो देवी की यात्रा करेंगे। उन्हें भैरवनाथ के दर्शन भी करने होंगे। तभी उनकी यात्रा पूरी मानी जाएगी। इसी तरह मा वैष्णो देवी ने देवताओं की रक्षा की और धर्म की पुनर्स्थापना की। यह भी पढ़ें