वहीं इस साल यानि 2021 के वैशाख माह में सोमवार 24 मई को प्रदोष व्रत (शुक्ल) पड़ रहा है, जो Monday को होने के कारण सोम प्रदोष कहलाएगा। जिसे जानकार अत्यंत खास और विशेष मान रहे है। जानकारों के अनुसार इस दिन पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ की गई lord shiv की पूजा उनके हर भक्त को मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करेगी।
24 मई 2021 सोम प्रदोष के शुभ मुहूर्त…
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 24 मई, सुबह 3:39 AM बजे से
त्रयोदशी तिथि समाप्त 25 मई, रात 00:11 AM बजे तक
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वैशाख सोमवार के कुछ खास उपाय..
: वैशाख सोमवार के संबंध में माना जाता है कि यदि आप बहुत जल्दी सफलता पाना चाहते हैं तो हर रोज़ घर के मंदिर में स्थापित पारद (पारा) से बने छोटे से शिवलिंग की पूजा करें, यह पूजा आप वैशाख के Somvar से शुरु कर सकते हैं।
: इसके अलावा मान्यता के अनुसार वैशाख के सोमवार से नियमित रूप से आंकड़े के फूलों की माला बनाकर Shivling पर चढ़ाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
: वैशाख के सोमवार से बिल्व वृक्ष की पूजा कर इस पर फूल, कुमकुम, प्रसाद आदि चीज़ें विशेष रूप से चढ़ाएं। माना जाता है कि इसकी पूजा से जल्दी शुभ फल मिलते हैं। वहीं Belpatra के नीचे दीपक जलाना भी मंगलकारी होता है।
: वैशाख के सोमवार को जल में केसर मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाने से विवाह और Marriage Life से जुडी समस्याएं खत्म होती हैं।
: वैशाख के किसी भी सोमवार को पानी में दूध और काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाना एक Miracle remedy माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से बीमारियों के कारण पैदा हो रही परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
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सोम प्रदोष पूजा विधि…
वैशाख के Som Pradosh के दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद साफ वस्त्र पहन लें। और फिर मंदिर (चाहे बाहर या घर के मंदिर) में जाकर हाथ में जल और पुष्प लेकर सोम प्रदोष व्रत और पूजा का संकल्प लें।
फिर संकल्प लेने वाला दैनिक पूजा करें और भगवान शिव की आराधना करें। इसके बाद दिन में सिर्फ एक बार फलाहार करें और पूरे दिन मन ही मन भगवान शिव के मंत्र का जाप करते रहें। तत्पश्चात शाम को Pradosh Puja मुहूर्त में पुन: स्नान कर शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
अब भगवान शिव का Ganga jal से अभिषेक करें। फिर उनको धूप, दीया,अक्षत्, पुष्प, धतूरा, फल, चंदन, गाय का दूध, भांग आदि अर्पित करें। इसके साथ ही भोग में मौसमी फल व सफेद मिठाई आदि लगाएं।
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इसके अलावा यदि भोग में ये चीजें घर में मौजूद न हो तो भगवान शिव को रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री का भोग भी लगाया जा सकता है। इस दौरान नम: शिवाय: ॐ नम: शिवाय: मंत्र का जाप करते रहें। फिर शिव चालीसा के पाठ के बाद भगवान शिव की आरती करें।
और इसके बाद प्रसाद परिजनों में बांट दें। साथ ही थोड़ा प्रसाद और दान दक्षिणा ब्राह्मण के लिए निकाल लें। रात्रि जागरण के बाद फिर चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान आदि करके भगवान शिव की पूजा करें। फिर ब्राह्मण को दान देने के बाद पारण कर व्रत को पूरा करें।