उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा (Utpanna Ekadashi Vrat Katha)
धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार मुर नामक दैत्य ने सभी देवताओं को पराजित कर दिया था। देवता दैत्य के भय से स्वर्ग पर अपना अधिकार खो बैठे। मुर दैत्य ने स्वर्ग पर अपना कब्जा कर लिया। इस असुर से परेशान होकर देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने मुर को युद्ध के लिए ललकारा। कई वर्षों तक दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान भगवान विष्णु को थकान हो गई तो वह बद्रिकाश्रम की गुफा में विश्राम करने चले गए। जब इसकी भनक जब मुर दैत्य को लगी तो वह गुफा में चला गया और भगवान विष्णु पर हमला करने की कोशिश की। धार्मिक मान्यता है कि भगवान की योगनिद्रा से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई। जिसने मुर का वध कर दिया। यह शक्ति एकादशी के नाम से प्रसिद्ध हुई। मान्यता है इस घटना के बाद से भगवान विष्णु ने एकादशी को अपने भक्तों का कल्याण करने वाला व्रत घोषित किया।
उत्पन्ना एकादशी महत्व (Utpanna Ekadashi Mahatva)
उत्पन्ना एकादशी धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। वहीं अपने भक्तों को हर प्रकार के कष्टों से मुक्त करते हैं। यह व्रत पुण्यकारी और पापों का नाश करने वाला है। जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखता है। उसे वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।व्रत विधि (Vrat Vidhi)
उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूरे दिन उपवास करें साथ ही विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत खोलें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत आध्यात्मिक साधना और भगवान विष्णु की कृपा पाने का अद्भुत माध्यम है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन करता है। जो भी साधक इस व्रत को विधिपूर्वक और भक्ति के साथ करता है। उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
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