धर्म-कर्म

Types of Yagya: यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं और क्यों किया जाता है? जानिए इसका धार्मिक रहस्य

Types of Yagya: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गृहस्थ आश्रम में 5 यज्ञ करना बेहद लाभकारी माना जाता है। क्योंकि अनजाने मे हम बहुत से पाप करते है और हिंसा करते है।

जयपुरJan 06, 2025 / 10:26 am

Sachin Kumar

Types of Yagya: सनातन धर्म में यज्ञ का विषेश महत्व है। वहीं धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। यज्ञ को भारतीय संस्कृति और वेदों एक पवित्र कर्मकांड माना गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं? और इनको करने के पीछे क्या रहस्य है? आइए यहां जानिए पूरी जानकारी।

यज्ञ का महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हिंदू धर्म में यज्ञ एक पवित्र अनुष्ठान माना गया है। यह किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यज्ञ देवताओं को प्रसन्न करने और आत्मा के शुद्धिकरण के लिए किया जाता है। इससे मनुष्य की आत्मा का शुद्धीकरण होता है। साथ ही वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। ज्ञय भगवान के प्रति समर्पण भाव प्रकट करता है।

मुख्य रूप से 5 तरह के यज्ञ

ब्रह्म यज्ञ: जड़ और प्राणी जगत से भी ऊपर है मनुष्य। किसी व्यक्ति से बढ़कर हैं उसके पितर यानि माता-पिता और गुरु। इसके बाद पितरों से बढ़कर हैं देव यानि पंच तत्व। इसके बाद सबसे ऊपर है ईश्वर। भगवान यानि ब्रह्म। नित्य संध्यवंदन और वेदों का पाठ करने से ऋषियों का ऋषि ऋण चुकता होता है। इस यज्ञ से ब्रह्मचर्य भी पुष्ट होता हैय़
देव यज्ञ: यह यज्ञ देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इसमें हवन सामग्री अग्नि में अर्पित की जाती है। इस यज्ञ से देव ऋण चुकता होता है। इस यज्ञ में सात पेड़ों की सूखी समिधाएं (लकड़ी) – बड़, पीपल, आम, ढाक, जांटी, जामुन और शमी शामिल की जाती हैं। इसके द्वारा व्यक्ति प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।
पितृ यज्ञ: इस यज्ञ का मुख्य उद्देश्य पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनकी आत्म शांति कराने के लिए होता है। वेदानुसार श्राद्ध कर्म के दौरान इसे विशेष रूप से किया जाता है। इस यज्ञ से पित्र ऋण चुकता होता है।
वैश्वदेव यज्ञ: इस यज्ञ को भूत यज्ञ के नाम से भी जाना जाता है। इस यज्ञ का मुख्य उद्देश्य भू मंडल के समस्त जीव-जन्तुओं के प्रति करुणा भाव और अपने कर्तव्य को समझना है। यह यज्ञ पशु-पक्षियों, प्रकृति और सभी प्राणियों के कल्याण के लिए किया जाता है। इसे प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम माना जाता है।
मनुष्य यज्ञ: इस यज्ञ को अतिथि यज्ञ के नाम से भी जाना जाता है। यह समाज और मानव कल्याण के लिए किया जाता है। इसके तहत शिक्षा, दान और सेवा कार्यों को यज्ञ का रूप माना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मेहमानों की सेवा करना होता है। इससे सन्यास आश्रम को बल मिलता है। इसके साथ ही आत्मा की शुद्धि और आत्मबोध प्राप्त करने के लिए ध्यान और साधना के रूप में इसे किया जाता है। इसे आत्मज्ञान का मार्ग माना गया है।

क्यों किया जाता है यज्ञ

धार्मिक उद्देश्य: यज्ञ के माध्यम से व्यक्ति देवताओं की कृपा प्राप्त करता है और अपने पापों का प्रायश्चित करता है।

प्राकृतिक संतुलन: यज्ञ के दौरान मंत्रोच्चारण और अग्नि में दी गई आहुति पर्यावरण को शुद्ध करती है।
सामाजिक कल्याण: यज्ञ समाज में एकता, सद्भाव और सकारात्मकता लाने का कार्य करता है।

आध्यात्मिक उन्नति: यज्ञ के माध्यम से आत्मा को शुद्ध किया जाता है और परमात्मा के साथ संबंध स्थापित किया जाता है।

यज्ञ का धार्मिक रहस्य

यज्ञ केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है। वेदों के अनुसार, यज्ञ ब्रह्मांडीय ऊर्जा को सक्रिय करता है और सकारात्मक तरंगों का संचार करता है। यह कर्म, ज्ञान और भक्ति का संगम है, जो व्यक्ति को आत्मा और परमात्मा के करीब लाता है।
यज्ञ केवल पूजा-अर्चना का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा कर्म है जो व्यक्ति, समाज और पर्यावरण के कल्याण के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से व्यक्ति धर्म, कर्तव्य और आध्यात्मिकता को समझता है और अपने जीवन को उन्नति की ओर ले जाता है।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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