नई दिल्ली। इस्लाम के अस्तित्व में आने से पहले अरब और उसके आसपास की परिस्थितियां और संस्कृति कैसी थी, ये सवाल अक्सर लोगों को परेशान करता है। खास तौर से उन्हें जो मुसलमानों और इस्लामिक विद्वानों से हमेशा ये सुनते रहते हैं कि अरब में इस्लाम से पहले चारों ओर अज्ञानता फैली हुई थी। तबाही मची हुई थी। औरतों की कोई इज्ज़त नहीं थी। लोग आपस में लड़ मर रहे थे। सब कुछ उलट-पुलट था एक तरह से। आजकल मौजूद इस्लामिक हदीसों में उस दौर को जाहिलियह कहा गया है। क्या सच में वो दौर इतना ही खराब था? और इस्लाम के आने के बाद सब कुछ रामराज्य जैसा हो गया अरब में?
इस्लाम के आने से पहले का लिखित अरबी इतिहास बहुत थोड़ी मात्रा में ही उपलब्ध है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि उस दौर के अरब बहुत कम पढ़े लिखे हुआ करते थे। लिखने से ज्यादा इतिहास और कविताओं को याद करना पसंद करते थे। कंठस्थ करने के पीछे एक बड़ी वजह ये बताते थे कि जिस भी बात को कंठस्थ कर लिया जाता है, उस बात में बदलाव की संभावना बहुत कम हो जाती है। इस्लाम के शुरुआती दौर में कुरान को कंठस्थ करने के पीछे यही वजह थी। बाकि का इतिहास, जो कुछ भी लिखित मात्रा में अरब में था, वो बाद के ख़लीफ़ाओं के दौर में या तो युद्ध में नष्ट हो गया या फिर नष्ट कर दिया गया।
भीतर प्रवेश करने पर अंदर देवताओं और देवियों की मूर्तियां थीं। जिनमें प्रमुख थे अरब देवता हबल, सीरियन चंद्र देवी अल-उज्ज़ा, मिस्र की देवी ईसिस जिसे ग्रीस के लोग एफ्रोडाइट के नाम से जानते थे। बताया जाता है नबाती देवी कुत्बा के साथ-साथ ईसाईयों के ईसा और मरियम की मूर्तियां भी भीतर थीं।
क्यों थी इतनी मूर्तियां काबे में? काबा के आसपास तीन सौ साठ मूर्तियों का होना इस बात की ओर इशारा करता है कि अन्य सभ्यताओं की तरह अरब के लोग भी ग्रहों की पूजा करते थे। कैरेन आर्मस्ट्रॉन्ग अपनी किताब Islaam: a short story में इस धारणा की पुष्टि करती है। उनके हिसाब से तीन सौ साठ मूर्तियों का होना साल के तीन सौ साठ दिनों की ओर इशारा करता है। और वहां ग्रहों से सम्बंधित देवी-देवताओं का होना इस बात को और मज़बूत करता है।
अरब ऐसा इसलिए करते थे ताकि विभिन्न क्षेत्र, कबीले, कुल और भिन्न भावना के लोगों के लिए भी काबा आस्था का केंद्र बना रहे। धार्मिक महत्व से कहीं ज्यादा, इसका राजनैतिक महत्व था। क्योंकि हर साल हज के लिए लोगों का दूर दराज़ के इलाकों से मक्का आना व्यापारिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण था।