अघ्र्य देने से पहले करें ये काम
सबसे पहले स्नान करें, उसके बाद सफेद वस्त्र धारण करें। सूर्य देवता का मन में संकल्प लेकर भगवान सूर्य को तांबे के कलश में गंगा जल, अक्षत, काला तिल , गुड़, फूल डालकर सूर्य देव को अघ्र्य दें। इससे सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं और आपको कभी किसी चीज की परेशानी नहीं होने देते। इसके साथ ही अगर आप सूर्य देवता का संकल्प कर पूजा कर रहे हैं, तो मौन होकर मंदिर जाएं। यहां आसन पर बैठकर अपने सिर को कपड़े से ढक लें। फिर फूलों से सूर्य भगवान की पूजा करें। इसके बाद 11 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
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अघ्र्य देते समय इन मंत्रों का करें उच्चारण
1. एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पां हि मे कृत्वा गृहाणाघ्र्यं दिवाकर।।
2. अगर आप भगवान सूर्य देव की उपासना कर रहे हैं, तो ‘ऊं आदित्य नम: या ऊं घृणि सूर्याय नम:Ó मंत्रोच्चार करें। इससे आपके जीवन में हमेशा उन्नति के मार्ग खुलेंगे.
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जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ऊं जय सूर्य भगवान।।
।। ऊं जय सूर्य भगवान…।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।। ऊं जय सूर्य भगवान…।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।। ऊं जय सूर्य भगवान…।। संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।। ऊं जय सूर्य भगवान…।।
स्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।। ऊं जय सूर्य भगवान…।। तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।। ऊं जय सूर्य भगवान…।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।। ऊं जय सूर्य भगवान…।। पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।। ऊं जय सूर्य भगवान…।।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा। स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ऊं जय सूर्य भगवान।।