धनुष का महत्व
रामायण के अनुसार यह एक दिव्य और अद्वितीय अस्त्र था। मान्यता है कि यह धनुष भगवान शिव का था जिसे शिवधनुष के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इसका असली नाम पिनाक धनुष था। इसे उठाना साधारण पराक्रम का कार्य नहीं माना जाता था। इसलिए राजा जनक ने सीता के स्वयंवर के लिए यह घोषणा की थी कि जो भी योद्धा इस धनुष को उठा कर इसे भंग करेगा। वही सीता को अपनी पत्नि के रूप में स्वीकार करेगा।शिवधनुष और रामायण में इसकी भूमिका
माता सीता से विवाह करने के लिए जनकपुर में वीर योद्धाओं का मेला लग गया। सभी ने राजा जनक की प्रतिज्ञा (धनुष) को तोड़ने का प्रयास किया लेकिन सभी असफल रहे। इस सभा में भगवान राम और छोटे भाई लक्ष्मण भी मौजूद थे। गुरु विश्वामित्र के कहने पर भगवान श्रीराम इस प्रतियोगिता में भाग लिया और धनुष को तोड़ दिया हैं। इस प्रकार भगवान राम का सीता से विवाह हुआ। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।