उत्तरप्रदेश के कानपुर का जाजमऊ इलाका चमड़ा उद्योग के लिए तो मशहूर है ही लेकिन इस इलाके की दूसरी पहचान इस कारण भी है कि यहां लगभग 90 प्रतिशत मुस्लिम धर्म के लोग रहते हैं । यहां पर भगवान शिव शंकर महादेव का एक अति प्राचीन सिद्धनाथ मंदिर स्थापित हैं, इस शिव मंदिर की खास बात ये है कि यहां रहने वाले मुस्लिम धर्म के लोग सिद्धनाथ मंदिर को इलाके के लिए शुभ मानते हैं, क्योंकि इस मंदिर के बारे में मान्यता हैं कि मंदिर में बैठकर जो भी शिवजी के मंत्र का जप एक हजार बार कर लेते हैं उनकी जटील से जटील समस्याओं का निराकरण हो जाता हैं, महादेव की कृपा से उनके परिवार में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है । मुस्लिम धर्म के लोग भगवान शंकर को बाबा के रूप में पूजते हैं । और मनोकामना पूर्ति के लिए मंदिर में माथा टेककर शिव मंत्र का जप भी करते हैं ।
कहा जाता हैं कि त्रेतायुग में कानपुर में गंगा नदी के किनारे बसे जाजमऊ इलाके को जयाद नाम के राजा ने बसाया थाल और उन्होंने ही यहां सिद्धनाथ मंदिर की स्थापना भी की थी । ऐसी कथा हैं कि राजा जयाद के पास एक ऐसी गाय थी जिसके पांच थन थे, वह गाय रोजाना एक टीले पर जाती थी तो उसके थन से अपने आप ही दूध की धीर बहने लगती थी । तभी से राजा ने उस स्थान सिद्धनाथ शिव मंदिर की स्थापना करवाई थी ।
स्थानीय रहवासियों का कहना हैं कि इस मंदिर के आसपास करीब 90 फीसदी मुस्लिम लोग रहते हैं, और उनका कहना हैं कि बाबा भोलेनाथ उनके लिए बहुत ही शुभ हैं । बरसों से आज तक यहां रहने वाले हिंदू और मुस्लिमों के बीच कभी भी लड़ाई झगड़ा हुआ ही नहीं । इलाके में दोनों धर्मों के बीच हमेशा शांति बनी रहती है । वे सिद्धनाथ बाबा को जाजमऊ का कोतवाल के रूप में भी पूजते हैं ।
इस मंत्र का करते हैं जप
मंदिर के पुजारी का मानना हैं कि यहां शिवजी के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, जो भी भक्त यहां आते हैं वे महादेव को दूध, फूल और बेलपत्र चढ़ाने के बाद शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र ।। ऊँ नमः शिवाय ।। का जप एक हजार बार यहीं बैठकर करते हैं । जो भी श्रद्धा पूर्वक यहां आता है, उसकी खाली झोली बाबा भर देते हैं । आज तक कोई भी बाबा के दरबार से खाली नहीं लौटा हैं ।