शिवजी को ‘रुद्र: परमेश्वर:, जगत्स्रष्टा रुद्र:’ आदि नामों से परमात्मा माना जाता है । यजुर्वेद का रुद्राध्याय तो भगवान रुद्र को ही समर्पित हैं । उपनिषद् रुद्र को विश्व का अधिपति तथा महेश्वर बताया गया हैं । दु:ख का नाश करने तथा संहार के समय क्रूर रूप धारण करके शत्रु को रुलाने के कारण ही शिव को ‘रुद्र’ कहते हैं । शिवपुराण का आधे से अधिक भाग रुद्रसंहिता, शतरुद्रसंहिता और कोटिरुद्रसंहिता आदि नामों से भगवान रुद्र की ही महिमा का गान करते हुए बताया गया की इसके पाठ से शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता हैं । नये साल में पड़ने वाली पहली अमावस्या 5 जनवरी के दिन हैं जो पौष अमावस होगी, इस दिन शिवजी के इन नामों का उच्चारण जरूर करें ।
शिवमहापुराण में कहा गया हैं-
एकादशैते रुद्रास्तु सुरभीतनया: स्मृता: ।
देवकार्यार्थमुत्पन्नाश्शिवरूपास्सुखास्पदम् ।।
अर्थात्—ये एकादश रुद्र सुरभी के पुत्र कहलाते हैं । ये सुख के निवासस्थान हैं तथा देवताओं के कार्य की सिद्धि के लिए शिवरूप से उत्पन्न हुए हैं ।
ये इन नामों का करे जप या उच्चारण कम से कम 108 बार जरूर करें ।
1- कपाली
2- गिरीश
3- सदाशिव
4- हर
5- शिव
6- शास्ता
7- अजपाद
8- अहिर्बुध्न्य
9- शम्भु
10- चण्ड
11- शर्व ।
शिवपुराण में वर्णित इन नामों को एकाग्रचित्त होकर जपने से महान पुण्यफल की प्राप्ति होती हैं । यह धन व यश देने वाला हैं, मनुष्य की आयु की वृद्धि करने वाला हैं, सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला हैं, पापों का नाशक एवं समस्त सुख-भोग प्रदान कर अंत में मुक्ति देने वाला है ।