धर्म-कर्म

Sharad Purnima 2021-शरद पूर्णिमा कब है? जानें तिथि और शुभ मुहूर्त के साथ ही इस दिन क्या न करें

इस दिन खीर में मिलता है अमृत!

Oct 16, 2021 / 06:14 pm

दीपेश तिवारी

shrad purnima2021

आश्विन मास की पूर्णिमा ही शरद पूर्णिमा कहलाती हैं। इसे ‘रास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार संपूर्ण वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा षोडश यानि 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है।

धर्म शास्त्रों में इस दिन ‘कोजागर व्रत’ माना गया है। इसी को ‘कौमुदी व्रत’ भी कहते हैं। रासोत्सव का यह दिन वास्तव में भगवान कृष्ण ने जगत की भलाई के लिए निर्धारित किया है, माना जाता है कि इस रात को चंद्रमा की किरणों से सुधा झरती है।

ऐसे में इस साल यानि 2021 में ये शरद पूर्णिमा मंगलवार,19 अक्टूबर, 2021 को मनाई जाएगी है। इस दिन के कुछ खास नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना गया है।

IMAGE CREDIT: patrika

इन नियमों के अनुसार इस दिन ब्रम्‍हचर्य का पालन करने के साथ ही किसी भी तरह के मांसाहार और नशा नहीं करना चाहिए। इन दिन धन का लेनदेन भी शुभ नहीं माना गया है।

मान्यता है कि घर में सुख-समृद्धि के लिए इस दिन सुहागिन महिलाओं को भोजन कराने के अलावा सूर्यास्त से पहले कुछ भेंट भी देनी चाहिए। इस दिन सूर्यास्त के बाद बालों में कंघी करना या अग्नि पर तवा चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता।

शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ-19 अक्टूबर 2021 को शाम 07:05:42 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 20 अक्टूबर 2021 की रात 08:28:56 बजे तक

Must Read- Chardham Yatra: चारधाम में अब कब तक किस धाम के कर सकते हैं दर्शन ?

 देवभूमि

मान्यता के अनुसार इसी दिन श्रीकृष्ण को ‘कार्तिक स्नान’ करते समय स्वयं (कृष्ण) को पति के रूप में प्राप्त करने की कामना से देवी पूजन करने वाली कुमारियों को दिए वरदान की याद आई थी और उन्होंने मुरलीवादन करके यमुना के तट पर गोपियों के संग रास रचाया था।

इस दिन मंदिरों में विशेष सेवा-पूजन किया जाता है। इस दिन प्रात:काल स्नान करके आराध्य देव को सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करके आवाहन,आसन, आचमन, वस्त्र,गंध अक्षत,पुष्प,धूप,दीप,नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से उनका पूजन करना चाहिए।

रात्रि के समय गौदुग्ध (गाय के दूध) से बनी खीर में घर और चीनी मिलाकर अर्द्धरात्रि के समय भगवान को अर्पित (भोग लगाना)करनी चाहिए। पूर्ण चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर उनका पूजन करें और खीर का नैवेद्य अर्पित करके, रात को खीर से भरा बर्तन खुली चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करना चाहिए साथ ही सबको इसका प्रसाद देना चाहिए।

Must Read- श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी प्रमुख घटनाएं, जानिये क्यों हैं बेहद खास

Shri krishan and cow

पूर्णिमा का व्रत करके कथा सुननी चाहिए। कथा सुनने से पहले एक लोटे में जल व गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली और चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाएं। फिर तिलक करने के बाद गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कथा सुनें। फिर गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर पंडिताइन के पांव स्पर्श करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें। लोटे के जल का रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें।

शरद पूर्णिमा से ही उत्सव और व्रत प्रारंभ हो जाता है। माताएं अपनी संतान की मंगल कामना से देवी-देवताओं का पूजन करती हैं। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के अत्यंत नजदीक आ जाता है। कार्तिक का व्रत भी शरद पूर्णिमा से ही प्रारंभ होता है। विवाह होने के बाद पूर्णिमा (पूर्णमासी) के व्रत का संकल्प शरद पूर्णिमा से लेना चाहिए।

शरद ऋतु में मौसम एकदम साफ हरता है। इस दिन आकाश में नतो बादल होते हैं और न ही धूल-गुबार। इस राति में भ्रमण और चंद्रकिरणों का शरीर परपड़ना अत्यंत शुभ माना जाता है।

Must Read- ऐसे घरों में हमेशा बना रहता माता लक्ष्मी का साथ, क्या आप भी चाहते हैं भाग्य की देवी का आशीर्वाद

laxmi mata ji

प्रति पूर्णिमा को व्रत करने वाले दस दिन भी चंद्रमा का पूजन करके भोजन करते हैं। इस दिन शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा का विधान है वहीं पूर्णिमा पर कार्तिक स्नान के साथ, राधा-दामोदर पूजन निय व्रत धारण करने का भी दिन है।

शरद पूर्णिमा की कथा:
एक साहूकार की दो पुत्रिया थीं। वे दोनों पूर्णिमासी का व्रत करती थीं। बड़ी बहन तो पूरा व्रत करती थह, लेकिन छोटी बहन अधूरा। छोटी बहन की जो भी संतान होती, वह जन्म लेते ही मर जाती। परंतु बड़ी बहन की सारी संताने जीवित रहतीं। एक दिन छोटी बहन ने बड़े बड़े पंडितों को बुलाकर अपना दुख बताया और उनसे इसका कारण पुछा।

इस पर पंडितों ने बताया कि तुम पूर्णिमा का अधूराव्रत करती हो, इसलिए तुम्हारे संतानों की अकाल मृत्यु हो जाती है। पूर्णिका का विधिपूर्वक पूर्ण व्रत करने से तुम्हारी संतानें जीवित रहा करेंगी।

Must Read- घर में आने से पहले मां लक्ष्मी देती हैं ये खास संकेत

shrad purnima lakshmi ji

तब उसने पंडितों की आज्ञा मानकर विधि-विधान से पूर्णमासी का व्रत किया। कुछ समय बाद उसका एक लड़का हुआ, लेकिन वह भी शीघ्र ही मर गया। तब उसके लड़कों को पीढे पर ले आकर उसके उपर कपड़ा ढक दिया।

फिर उसने अपनी बड़ी बहन को बुलाया और उसे वहीं पीढ़ा बैठने को दे दिया। जब बड़ी बहन उस पर बैठने लगी तो उसके वस्त्र बच्चे को छूते ही लड़का जीवित होकर रोने लगा। तब क्रोधित होकर बड़ी बहन बोली, तू मुझ प कलंक लगाना चाहती थी। यदि में बैठ जाती तो लड़का मर जाता।

तब छोटी बहन बोली यह तो पहले से ही मरा हुआ था। तेरे भाग्य से जीवित हुआ है। हम दोनों बहनें पूर्णिमा का व्रत करती हैं। तू पूरा करती है और मैं अधूरा, जिसके दोष से मेरी संतानें मर जाती हैं। लेकिन तेरे पुण्य से यह बालक जीवित हुआ है।

इसके बाद उसने पूरे नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि आज से सभी पूर्णिमा का पूरा व्रत करें, यह संतान सुख देने वाला है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Sharad Purnima 2021-शरद पूर्णिमा कब है? जानें तिथि और शुभ मुहूर्त के साथ ही इस दिन क्या न करें

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.