1. शनि त्रयोदशी यानी शनि प्रदोष के दिन छाया दान करना चाहिए। इसके लिए सुबह एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर इसमें कोई सिक्का डाल दें, फिर इसमें अपना चेहरा देखें और शनि मंदिर में दान कर दें। मान्यता है कि इससे शुभ फल प्राप्त होते हैं।
2. शनि देव को प्रसन्न करने और ढैय्या साढ़े साती के अशुभ प्रभाव से मुक्त होने के लिए शनि त्रयोदशी के दिन शाम के समय काले कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी मीठी रोटी खिलाना चाहिए।
3. शनि देव भगवान शिव के उपासक हैं, इसलिए ढैय्या साढ़ेसाती की पीड़ा कम करने के लिए शनि त्रयोदशी के दिन भगवान शिव की पूजा अवश्य करनी चाहिए। जल में काला तिल मिलाकर शिव का जलाभिषेक करना विशेष फलदायी होता है। इसके बाद ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
4. भगवान शिव की पूजा के बाद शनि देव की पूजा करें, इसके लिए पहले शिव चालीसा पढ़ें और फिर शनि चालीसा पढ़ें। इससे भगवान शिव और शनि देव दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
5. शनि त्रयोदशी का व्रत करें और शिवलिंग पर 108 बेलपत्र-पीपल पत्र चढ़ाएं। ये भी पढ़ेंः Shani Vakri: 29 जून से इन 5 राशि के लोगों का बिगड़ेगा बजट, वक्री शनि के कारण रूठ जाएगा भाग्य, आएगी आर्थिक परेशानी से जेब होगी खाली
6. कई ग्रहों के अशुभ प्रभाव से जूझ रहे हैं तो शनि त्रयोदशी के दिन उड़द की दाल, काले रंग के जूते, काले रंग के तिल, उड़द की खिचड़ी, छाता, कंबल आदि दान करें। इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं।
7. शिव पीड़ा से मुक्ति और मानसिक शांति के लिए शनि त्रयोदशी के दिन जल और दूध पीपल की जड़ में अर्पित करें। फिर वहां पांच मिठाई रखें और पितरों का ध्यान करते हुए पीपल की पूजा करें। इसके बाद वहां सुंदरकांड का पाठ करें और पीपल की सात परिक्रमा भी करें।