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Shani Jayanti 2023: दक्षिण और उत्तर भारत में अलग-अलग दिन शनि जयंती, ये है कारण

शनि जयंती 2023 दक्षिण भारत और उत्तर भारत में अलग-अलग दिन मनाई जाएगी, वो भी महज एक महीने के भीतर, लेकिन क्या आपको पता है कि शनि जयंती (Shani Jayanti 2023) अलग-अलग दिन मनाने के पीछे का कारण क्या है..

Apr 15, 2023 / 07:01 pm

Pravin Pandey

shani jayanti 2023

शनि जयंती (Shani Jayanti Vaishakh) : आमतौर पर किसी व्यक्ति का जन्म दिन साल में एक बार मनाया जाता है, मगर हनुमानजी और शनिदेव की जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। शनिदेव की जयंती तो महज एक महीने के भीतर ही दो बार मनाई जाती है। इस साल भी यही स्थिति है। 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या पर दक्षिण भारत के लोग शनि जयंती मनाएंगे तो महज एक महीने बाद उत्तर भारत के लोग ज्येष्ठ अमावस्या के दिन 19 मई 2023 को शनि जयंती मनाएंगे।
एक महीने में दो बार शनि जयंती मनाने की वजहः एक महीने में दो बार शनि जयंती मनाए जाने के पीछे की वजह उत्तर भारत में पूर्णिमांत और दक्षिण भारत में अलग अमावस्यांत कैलेंडर का प्रचलन, हालांकि सभी में महीनों के नाम एक ही हैं और शनि जयंती अमावस्या के दिन ही पड़ती है। कैलेंडर में फर्क के कारण दोनों में एक माह का फर्क आ जाता है।

उत्तर भारत के पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत के अमावस्यांत कैलेंडर के कारण यह तिथि वैशाख अमावस्या के दिन ही पड़ जाती है। हालांकि कुछ ग्रंथों में शनि देव का जन्म भाद्रपद की शनि अमावस्या के दिन माना गया है।
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पूर्णिमांत कैलेंडर और अमावस्यांत कैलेंडरः अमावस्यांत कैलेंडर में महीने की शुरुआत अमावस्या के अगले दिन से होती है और अमावस्या तक रहती है। यानी पहले पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष और इसका अंत कृष्ण पक्ष से होता है। इसीलिए इसे अमावस्यांत चंद्र हिंदू कैलेंडर कहा जाता है। वहीं पूर्णिमांत कैलेंडर में महीने की शुरुआत पूर्णिमा के अगले दिन यानी कृष्ण पक्ष से होती है और महीना पूर्णिमा के साथ खत्म होता है। इसे पूर्णिमांत चंद्र हिंदू कैलेंडर कहा जाता है।
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शनि जयंती 2023: कैलेंडर में फर्क के कारण शनि जयंती 2023 दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या के दिन 20 अप्रैल को मनाई जाएगी और उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या के दिन 19 मई को मनाई जाएगी।
सर्वार्थ सिद्धि योग में वैशाख शनि जयंतीः दक्षिण भारत में शनि जयंती सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी। दरअसल, 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या के दिन सुबह 5.51 से शुरू होकर रात 11.11 बजे तक रहेगा। इसी समय तक अश्विनी नक्षत्र भी उदित रहेगा जो समय को शुभ बना रहा है। इसके अलावा दोपहर 1.01 बजे तक प्रीति योग भी बन रहा है। वहीं अभिजित मुहूर्त सुबह 11.54 से शुरू होकर दोपहर 12.46 तक रहेगा।

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