हर समस्या होगी दूर
1- सबसे पहला संयोग सावन माह के दिनों का हैं, इस बार 19 साल बाद पूरे 30 दिन का सावन महीना है । इससे पूर्व वर्ष 1999 में सावन 30 दिनों का था । अगर किसी की कोई समस्या का समाधान नहीं हो रहा हैं तो शिवलिंग का जलाभिषेक ब्रह्ममुहूर्त में करने से शिवजी हर समस्या दूर कर देंगे ।
शनि की पीड़ा और कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति
2- दूसरा संयोग सावन में यह बन रहा की 14 साल बाद शनिवार और हरियाली अमावस्या का शुभ संयोग सावन में बन रहा हैं । इसे शनैश्चरी हरियाली अमावस्या कहा जाता है । इससे पूर्व सन 2004 को सावन में शनिवार को हरियाली अमावस्या आई थी । शिव और शनि से जुड़ा होने के कारण यह दिन शनि की पीड़ा और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए बेहद खास दिन माना गया । क्योंकि सावन माह में शनिवार के दिन अमावस्या का आना अत्यंत शुभ और दुर्लभ संयोग माना जाता है । अगर कोई व्यक्ति इस दिन संगम सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करता हैं तो उससे अनेक जन्मों के पापों का नाश हो जाता हैं । इस दिन कई साधक तंत्र-मंत्र की साधना करते हैं ।
असाध्य रोग, नौकरी, व्यापार और बेरोजगारी के संकट होंगे दूर
3- तीसरा दुर्लभ संयोग- पिछले 71 सालों में दूसरी बार स्वतंत्रता दिवस पर्व और नागपंचमी का पर्व सावन मास में एक ही दिन पड़ रहा है । देश की आजादी के बाद यह दूसरा मौका है जब सावन मास में 15 अगस्त के दिन नागपंचमी का पर्व भी है । शास्त्रों में ऐसा उल्लेख आता है कि सावन मास में पड़ने वाली नागपंचमी पर्व के दिन शिवजी का जल, गंगाजल या फिर देशी गाय के दुध से सुबह 4 बजे से 7 बजे के बीच अभिषेक करने से मनुष्य के जीवन की अनेक समस्याएं जैसे- असाध्य रोग निवारण, नौकरी में रही परेशानी, बेरोजगारी से मुक्ति आदि समस्याएं दूर हो जाती हैं ।
रक्षाबंधन पर नहीं होगा भद्रा का साया
रक्षाबंधन के दिन अक्सर भद्रा का साया रहने के कारण राखी बांधने को लेकर संशय की स्थिति रहती है । सावन के अतिम दिन बहने अपने भाइयों को रक्षाबंधन पर पूरे दिन सबुह से रात तक राखी बांध सकेगी, क्योंकि इस बार राखी पर भद्रा का साया नहीं साया नहीं रहेगा । यह संयोग 3 साल बाद बना है । पूर्णिमा पर इस बार धनिष्ठा नक्षत्र है । धनिष्ठा पंचक का नक्षत्र है, लेकिन पंचक का विचार केवल अशुभ कार्यों में किया जाता है । शुभ कार्यों में इसका फल पांच गुना अधिक मिलता है ।