मान्यता है कि भूले-बिसरे पितरों का इस दिन श्राद्ध करना चाहिए और इस दिन सभी पितर यहां अदृश्य रूप में मौजूद रहते हैं। साथ ही अच्छे कर्म करने वाले वंशजों को आशीर्वाद देकर पितृ लोक लौटते हैं। ऐसे पितरों की प्रसन्नता के लिए गरुण पुराण में सर्व पितृ अमावस्या के 5 उपाय बताए गए हैं, महालया अमावस्या के ये उपाय पितरों का आशीर्वाद पाने में सहायक होता है और इससे धन दौलत से घर भर जाता है।
पंचबलि कर्म
गरुण पुराण के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करें और श्राद्ध न कर सकें तो पंचबलि कर्म यानी गोबलि, श्वानबलि, काकबलि, देवादिबलि और पिपलिकादि बलि कर्म जरूर करें। इन सभी के लिए विशेष मंत्र बोलते हुए भोजन सामग्री निकालकर रखें। आखिर में चींटियों के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालने के बाद ही ब्राह्मण के लिए भोजन परोसें। साथ ही जमाई, भांजे, मामा, नाती और कुल खानदान के सभी लोगों को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा जरूर दें।तर्पण और पिंडदान
सर्वपितृ अवमावस्या पर तर्पण और पिंडदान का खासा महत्व है। सामान्य विधि के अनुसार पिंडदान में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है। पिंडदान के साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है। पिंड बनाने के बाद हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत और जल लेकर संकल्प करें। इसके बाद इस मंत्र को पढ़े. “ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।’ ये भी पढ़ेंः श्राद्ध में भूलकर भी इन लोगों को न बुलाएं, पितृ हो जाएंगे नाराज, जानें सर्व पितृ अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें