भूखे भिखारी को भोजन कराने वाले चोर को इंद्रासन की प्राप्तिः प्रज्ञा पुराण
लोकप्रिय सरदार पटेल एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो भारत के पहले उप प्रधानमंत्री बने थे। स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेडा संघर्ष में हुआ। गुजरात का खेडा खण्ड (डिविजन) उन दिनो भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।
देश में 1948 का साल भारत की राजनैतिक परिस्थिति की दृष्टि से बडा हलचल पूर्ण था। अगस्त 1947 में जैसे ही देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, चारों तरफ अशांति का वातावरण दिखाई पड़ने लगा। सबसे पहले तो पचास-साठ लाख शरणार्थियों को सुरक्षापूर्वक लाने और बसाने की समस्या सामने आई। उसी के साथ- साथ अनेक स्थानों पर सांप्रदायिक उपद्रव और मारकाट को भी नियंत्रण में लाना पडा। एक बहुत बडी समस्या देशी राज्यों की भी थी, जिनको अंग्रेजी सरकार ने ‘स्वतंत्र’ बनाकर राष्ट्रीय सरकार के साथ इच्छानुसार व्यवहार करने की छूट दे दी थी। इस प्रकार भारत के ऊपर उस समय चारों तरफ से काली घटाएं घिरी हुईं थीं और इन सबको संभालने का भार भारत सरकार के गृह मंत्रालय पर था, जिसके संचालक थे- सरदार पटेल। जिन्होंने बहुत ही सुझबुझ से सफलता भी प्राप्त की थी।
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