एक दिन एक ब्राह्मण उनके यहां आया, उसने कहा कि गंगा स्नान करने के लिए जा रहा हूं एक जूता चाहिए। संत रविदास ने उसे बिना पैसे लिए जूता दे दिया और एक सुपारी ब्राह्मण को दिया, कहा कि इसे मेरी ओर से गंगा मैया को दे देना। जब ब्राह्मण गंगा स्नान के बाद पूजा कर चलने लगा तो उसने अनमने ढंग से संत रविदास की दी सुपारी गंगा में उछाल दी।
धीरे-धीरे यह खबर पूरी काशी में फैल गई। इस पर कई विरोधी एकजुट हो गए और कहा कि यह कहानी पाखंड है। संत रविदास सच्चे भक्त हैं तो दूसरा कंगन लाकर दिखाएं। इस पर संत रविदास भजन गाने लगे, कुछ देर बाद जिस कठौत के पानी से संत रविदास चमड़ा साफ करते थे, उससे गंगा मैया प्रकट हुईं और दूसरा कंगन भेंट किया। इससे विरोधियों का सिर नीचा हो गया। इसके बाद से प्रसिद्ध हो गया, जौ मन चंगा त कठौती में गंगा।
महिला की आंखों में आ गई रोशनीः संत रविवदास का एक और चमत्कार लोगों में प्रसिद्ध है। कहा जाता है संत रविदास के जन्म के समय उनकी माता के पास एक महिला खड़ी थी। इस महिला की आंखों में रोशनी कम थी, लेकिन संत रविदास के जन्म के समय हुई रोशनी से उसकी आंखें ठीक हो गईं।
खिलौने में आ गई जानः किंवदंती है कि संत रविदास के फूफा ने बच्चों के खेलने के लिए एक चमड़े का खरगोश बनाया था। एक बार संत रविदास ने इस खरगोश को तीन बार पैर से धकेल दिया तो उस खरगोश में जान आ गई। वह घर से बाहर चला गया।