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Sakat Chauth Vrat Katha 2025: सकट चौथ की यह कथा पढ़े बिना व्रत होता नहीं पूरा, कथा से जानें व्रत का महात्म्य

Sakat Chauth Vrat Katha 2025: सकट चौथ के दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और जीवन कल्याण के लिए व्रत करती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश और चौथ माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

जयपुरJan 16, 2025 / 05:20 pm

Sachin Kumar

Sakat Chauth Vrat Katha 2025

Sakat Chauth Vrat Katha 2025: हिंदू धर्म में सकट चौथ का विशेष महत्व है। यह पर्व माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर माताएं अपनी संतान के कल्याण के लिए व्रत करती है। इस साल 2025 में सकट 17 जनवरी दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। लेकिन क्या आपको पता है कि सकट चौथ की कथा सुने या बिना पढ़े सकट व्रत अधूरा माना जाता है। तो आइए यहां जानते हैं सकट चौथ की पूरी रोचक कथा..
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सकट चौथ कथा (Sakat Chauth story)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक गांव में एक कुम्हार रहता था। वह मिट्टी के बर्तन बनाता था। लेकिन जब कुम्हार ने बर्तनों को पकाने के लिए भट्टी में डाला तो उसने देखा की अग्नि पात्रों को पकाने में सक्षम नहीं थी। कुम्हार के निरन्तर प्रयत्नों के पश्चात् भी मिट्टी के पात्र पक नहीं पा रहे थे। हर प्रकार की कोशिश के करने के बाद कुम्हार ने राजा से सहायता मांगी।

राजा का आदेश बालक की दी जाएगी बलि (King orders child to be sacrificed)

कुम्हार की समस्या सुनने के बाद महाराज ने पंडित से चार-विमर्श किया तथा उनसे इस विचित्र समस्या का समाधान माँगा। पंडित ने सुझाव दिया कि प्रत्येक समय पात्रों को पकाने हेतु भट्टी तैयार करने के अवसर पर एक बालक की बलि दी जाये।

हर घर से एक बालक की दी जाने लगी बलि (A child started being sacrificed from every house)

Sakat Chauth Vrat Katha 2025:पंडित का सुझाव सुनकर महाराज ने राज्य में यह घोषित कर दिया कि सदैव भट्टी तैयार होने के अवसर पर प्रत्येक परिवार को बलि हेतु एक बालक प्रदान करना होगा। महाराज के आदेश का पालन करने हेतु समस्त परिवारों ने एक-एक करके अपनी एक सन्तान को देना आरम्भ कर दिया।

वृद्ध महिला के अकेले पुत्र की बलि की बारी (It’s the turn of the old woman to sacrifice her only son)

कुछ दिन के बाद एक वृद्ध स्त्री की बारी आयी, जिसका एक ही पुत्र था। उस दिन सकट चौथ का पर्व था। उस वृद्ध स्त्री का एक ही पुत्र था, जो उसके अन्तिम क्षणों का एकमात्र सहारा था। लेकिन वृद्ध महिला महाराज के आदेश की अवेहलना करने से भयभीत थी। क्योंकि सकट के शुभ अवसर पर उसकी एकमात्र सन्तान का वध कर दिया जायेगा।

वृद्ध महिला के पुत्र का भट्टी में प्रवेश (old woman’s son entering the furnace)

Sakat Chauth Vrat Katha 2025:वह वृद्ध स्त्री सकट माता की अनन्य भक्त थी। उसने अपने पुत्र को प्रतीकात्मक सुरक्षा कवच के रूप में सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा दिया। वृद्ध स्त्री ने अपने पुत्र से भट्टी में प्रवेश करते समय सकट देवी की प्राथना करने को कहा तथा यह विश्वास दिलाया कि सकट माता की कृपा से यह वस्तुयें भट्टी की अग्नि से उसकी रक्षा करेंगी।
बालक को भट्टी में बैठाया गया। उसी समय वृद्ध स्त्री ने अपने एकमात्र पुत्र की रक्षा हेतु देवी सकट की आराधना आरम्भ कर दी। भट्टी में अग्नि दहन करने के पश्चात् उसे आगामी दिनों में तैयार होने हेतु छोड़ दिया गया।
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कुम्हार भट्टी को देखकर हुआ आश्चर्यचकित (Surprised to see the potter’s kiln)

Sakat Chauth Vrat Katha 2025:जिस भट्टी को पकने में अनेक दिनों का समय लगता था। सकट देवी की कृपा से वह एक रात्रि में ही तैयार हो गयी। अगले दिन जब कुम्हार भट्टी का निरीक्षण करने आया तो वह आश्चर्यचकित रह गया। उसने ने पाया कि उस वृद्ध स्त्री का पुत्र तो जीवित एवं सुरक्षित है। साथ ही वह समस्त बालक भी पुनः जीवित हो चुके थे जिनकी बलि भट्टी तैयार करने से पूर्व दी गयी थी।

सकट माता की शक्तियों को देख नगरवासी हैरान (The townspeople are surprised to see Sakat Mata’s powers)

Sakat Chauth Vrat Katha 2025:इस घटनाक्रम के पश्चात् समस्त नगरवासियों ने सकट माता की शक्तियों एवं उनके करुणामय स्वभाव की महिमा को स्वीकार कर लिया। सकट माता के प्रति अटूट निष्ठा व अखण्ड विश्वास हेतु नगरवासियों ने उस बालक व उसकी माँ की अत्यधिक प्रसंशा की। सकट चौथ पर्व सकट देवी के प्रति आभार प्रकट करने हेतु मनाया जाता है। इस अवसर पर मातायें सकट माता की पूजा-अर्चना करती हैं एवं अपनी सन्तानों की समस्त प्रकार की अप्रिय घटनाओं से रक्षा हेतु माता से प्रार्थना करती हैं।
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