रोगी के निमित ऐसे करें यह उपाय
वैसे तो इस उपाय को अमावस्या तिथि या शनिवार के दिन करना चाहिए, लेकिन अति आवश्यक जरूरत पड़ने पर किसी भी दिन शाम के समय किया जा सकता है। शाम के समय लगभग 4 बजे स्नान करके उपाय करने के लिए तैयार हो जाए और अपने घर के ही पूजा स्थल पर विधिवत अपने गुरु का आवाहन पूजन करें, अगर कोई गुरु न हो तो भगवान सूर्य देव को गुरु रूप में वरण करके पूजन व वंदना करें। गुरुपूजन के बाद गुरुमंत्र का जप 551 बार करें। जप करते समय पीड़ित रोगी के शीघ्र रोग मुक्त होने की प्रार्थना मन ही मन करते रह। अब मिट्टि के काले मटके में सबसे पहले सरसों के तेल को भर दें, उसमें 8 दाने काले तिल डालकर मटके के मुख को काले कपडे से बांध दें। इसके बाद माँ बगलामुखी के मंत्र जाप 108 बार करें। जप के बाद मटके पर बंधे काले कपड़े के ऊपर थोडा सा सिंदूर डाल दें। इस तांत्रिक उपाय से रोग शीग्र रोग से मुक्त होने लगेगा।
इस मंत्र का जप करें
।। ऊँ ह्लीम् श्रीं ह्लीम् रोग बाधा नाशय नाशय फट।।
जब विधिवत पूजा और मंत्र जप पूरा होने बाद मटके को किसी एकांत स्थान पर लेकर जमीन में गाड़ दें। अगर संभव हो मटका गाड़ने के पहले से ही गड्डा खोदकर तैयार कर लें। उक्त उपाय जिसके लिए किया गया हो उसका स्पर्श करावें या उसकी उपयोग की हुई कोइ वस्तु मटके में डाल दें। इस तांत्रिक उपाय का परिणाम 24 घंटे में दिखाई देने लगता है, रोग से मुक्ति का यह एक अनुभूत सिद्ध प्रयोग है।
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