तांत्रिक बीजोक्त मंत्र-
।। ॐ ह्रौं जूं सः । ॐ भूर्भवः स्वः । ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् । स्वः भुवः भूः ॐ । सः जूं ह्रौं ॐ ।
उक्त अति प्रभावशाली संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है । लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियाँ रखना अनिवार्य हैं जिसका पालन करने के बाद ही इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सकता हैं ।
जप करन से पहले इन बातों का ध्यान रखें
1- तांत्रिक बीजोक्त महामृत्युंजय मंत्र जप करते समय उच्चारण की शुद्धता का पूरा ध्यान रखे ।
2- मंत्र जप के जितनी संख्या में जप का संकल्प लिया हैं उतना ही निर्धारित समय में पूरा करें ।
3- मंत्र का उच्चारण ऐसे करे की पास में बैठे व्यक्ति को भी सुनाई न दे । यदि अभ्यास न हो तो बहुत ही धीमे स्वर में जप करें ।
4- जप तक जप चलता रहे तब तक घी का दीपक एवं चंदन की धूप जलते रहना चाहिए ।
5- रुद्राक्ष की माला से ही तांत्रिक बीजोक्त महामृत्युंजय मंत्र का जप करें ।
6- कुशा के आसन पर बैठकर ही जप करें ।
7- जपकाल में आलस्य व उबासी को बिलकुल भी न आने दें ।
8- जप करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की तरफ ही होना चाहिए ।
9- जप पूरा होने के बाद दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करें ।
10- जितने दिन तक जप का संकल्प लिया उतने दिनों तक भूमि पर शयन करें, एवं ब्रह्मचर्य का पालन करें ।
उक्त नियमों का पालन करने के साथ जप करेंगे तो रोगी को तीन चार दिनों में ही लाभ होता दिखाई देगा ।