ब्रह्मा जी के विमान का प्रस्ताव ठुकराना
धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार शरभंग मुनि ने कठिन तपस्या की। जिससे ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए। मान्यता है कि शरभंग मुनि अपनी तपस्या के बल पर इतने तेजस्वी और पवित्र हो गए थे कि स्वर्गलोक के देवताओं और स्वयं ब्रह्मा जी ने उन्हें दिव्य लोक ले जाने का प्रस्ताव दिया। इसके लिए ब्रह्मा जी स्वयं अपने विमान के साथ उनके पास आए थे। लेकिन शरभंग ऋषि ने ब्रह्मा जी के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि वे अभी मोक्ष प्राप्ति के लिए तैयार नहीं हैं। क्योंकि उनका उद्देश्य भगवान श्रीराम के दर्शन करना और उनके माध्यम से मोक्ष प्राप्त करना था।
शरंभग ने किया था अग्नि प्रवेश
धार्मिक कथाओं के अनुसार शरभंग मुनि ने श्रीराम को मानव अवतार में देखकर यह अनुभव किया कि यही परमात्मा हैं। जिनके दर्शन से ही सच्चा मोक्ष संभव है। जब श्रीराम उनके आश्रम पहुंचे तो शरभंग मुनि ने उनका विशेष स्वागत किया और अपनी तपस्या का सारा फल श्रीराम को समर्पित कर दिया। इसके बाद वे योग-आग्नि में प्रवेश कर ब्रह्मलीन हो गए। शरभंग मुनि की यह कथा समस्त मानव समाज के लिए प्रतीक है कि सच्चा मोक्ष और ईश्वर का सान्निध्य केवल उनके चरणों में समर्पण और भक्ति से ही संभव है। भले ही ब्रह्मा जैसे देवता स्वर्ग का प्रस्ताव दें। लेकिन आत्मा का परम लक्ष्य ईश्वर से मिलन है। जिसे शरभंग मुनि ने अपनी साधना और त्याग से सिद्ध किया।
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