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Ramayana Secret: रामायणकाल के ख़तरनाक मायावी राक्षस, जिनके भय से कांपने लगते ऋषि-मुनि और देवता

Ramayana Secret: रामायणकाल में राक्षस इतने मायावी थे कि देवता और ऋषि-मुनि भी उनकी मायावी चाल को समझ नहीं पाते थे। देवता भी उनके भय से भयभीत रहते थे।

जयपुरDec 11, 2024 / 04:58 pm

Sachin Kumar

Ramayana Secret

Ramayana Secret: रामायणकाल में भगवान विष्णु को राक्षसों का नाश करने के लिए राम अवतार लेना पड़ा था। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रामायणकाल में इतने खतरना मायावी राक्षस थे। जिनके डर से साधु-संत अपना जप-तप और भजन नहीं कर पाते थे। जो अपनी माया और शक्ति से देवताओं, ऋषियों और मानुष्यों पर आत्याचार करते थे। आइए जानते हैं सबसे खतरना और मायावी राक्षस कौन थे? जिन्होंने भगवान श्रीराम की जीवन भी चुनौतीपूर्ण बना दिया था।

रावण

लंकाधिपति रावण जिसको दशानन के नाम से भी जाना जाता है। वह भगवान शिव का परम भक्त और अपार शक्तियों का स्वामी था। माना जाता है कि उसकी मायावी शक्तियों के कारण ही देवता भी उससे भयभीत रहते थे। उसने माता सीता का हरण करके भगवान श्रीराम के क्रोध को आमंत्रित किया। राक्षसराज रावण के पास कई ऐसे वरदान और माया विद्या थी। जिससे वह युद्ध में दुश्मनों को भ्रमित कर देता था।

मारीच

मारीच एक कुशल मायावी राक्षस था, जो सोने के मृग का रूप धारण करके सीता का हरण कराने में सफल हुआ था। मारीच के पास इतनी प्रबल मायावी शक्तिया थीं कि उसने भगवान राम को ही भ्रमित कर दिया और जंगल में दूर ले जाने की योजना बनाई, ताकि रावण माता सीता का आसानी से अपहरण कर सके।

सुबाहु

सुबाहु राक्षस ताड़का का पुत्र और मारीच का भाई था। वह अपनी मायावी शक्तियों से देवताओं और ऋषि- मुनियों की यज्ञों को नष्ट कर देता था। विश्वामित्र की यज्ञ को पूर्ण करने के लिए भगवान राम ने सुबाहु का वध किया था।

अहिरावण

राक्षस अहिरावण रावण का सौतेला भाई था। वह पाताल लोक का राजा था। अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण को रावण युद्ध के दौरान अपहरण करके पाताल लोक ले गया था। उसने राम और लक्ष्मण की यज्ञ में बलि चढ़ाने की योजना बनाई। हनुमान ने अहिरावण का वध कर राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया।

कालनेमि

कालनेमि रामायण काल में एक मायावी राक्षस था। यह मारीच का पुत्र था। जब युद्ध के दौरान लक्ष्मण को शक्ति लगी थी तो हनुमान जी संजीवनी लेने के लिए द्रोणाचल पर्वत पर गए थे। तब कालनेमि ने उनका रास्ता रोका था। लेकिन हनुमान जी राक्षसों की मायावी चाल को जानते थे। इसलिए वह राक्षस कालनेमि की मायावी चाल को समझ गए और उसका वध कर दिया।
रामायणकाल के ये मायावी राक्षस अपने छल-बल औक शक्तियों के लिए प्रसिद्ध थे। भगवान श्रीराम और उनकी सेना ने सभी मायावी राक्षसों के षड्यंत्र और कुकर्मों का अंत करके धर्म और सत्य की विजय पताका लहराई।
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