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Pushkar Snan 2024: इस डेट से शुरू हो रहा पुष्कर स्नान, जानें इस महा स्नान का महत्व

Pushkar Snan 2024: इस डेट से शुरू हो रहा पुष्कर स्नान, जानें इस महा स्नान का महत्वराजस्थान पुष्कर मेले में व्यापार, सांस्कृतिक प्रदर्शन, प्रतियोगिताएं और पवित्र पुष्कर झील में स्नान शामिल है। अगर आप भी करना चाहते हैं पुष्कर सरोवर में स्नान तो जानिए इसका महत्व…

जयपुरNov 14, 2024 / 07:36 pm

Sachin Kumar

राजस्थान का प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक पुष्कर मेला।

Pushkar Snan 2024 : कार्तिक मास हिंदू धर्म के लिए बहुत ही पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज से लेकर देव उठनी एकादशी तक के बड़े त्योहार आते हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है इसी महीने में ब्रह्माजी की पूजा से जुड़ा महापुण्यदायक पुष्कर मेला भी शुरू होता है। आइये जानते हैं कब शुरू हो रहा पुष्कर मेला और इसमें महास्नान का क्या है महत्व …

देव उठनी एकादशी से शुरू होता है पुष्कर मेला (Dev Uthani Ekadashi Se Shuru Hota Hai Pushkar Mela)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन पुष्कर सरोवर में स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार कार्तिक पूर्णिमा स्नान 15 नवंबर को किया जाएगा। लेकिन इससे पहले देव उठनी एकादशी से यहां पुष्कर मेला शुरू हो जाता है।
इसमें शामिल होने के लिए देश दुनिया से भक्त राजस्थान पहुंचते हैं और पुष्कर सरोवर में स्नान करते हैं। इस स्नान को महा स्नान भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां देव उठनी एकादशी से पूर्णिमा तक प्रवास कर कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर सरोवर में स्नान से हर मनोकामना पूरी होती है।

जानिए पुष्कर स्नान का महत्व (Pushkar Snan Ka Mahatva)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर स्नान (Pushkar Snan 2024) करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मान्यता है कि पुष्कर सरोवर पंच तीर्थो में से एक है। यहां जो भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने के बाद ब्रह्म जी के मंदिर में पूजा करके दान करता है, उसके जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है।
इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से मन को शांति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माना जाता है कि यहां स्नान करने से पंचतीर्थों के दर्शन का फल एक ही बार में मिल जाता है। पुष्कर स्नान के पीछे यह भी मान्यता है कि जो चार धाम की यात्रा करने के बाद पुष्कर तीर्थ में आकर स्नान नहीं करता है उसकी चार धाम यात्रा अधूरी मानी जाती है।

ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर (Brahma Ji ka Ekmatra Mandir)

पुष्कर तीर्थ में सावित्री देवी, विष्णु जी, शिव जी और अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर हैं। लेकिन यहां देश का अकेला ब्रह्मा जी का मंदिर है, जहां ब्रह्माजी की पूजा होती है। मान्यता है कि ज्येष्ठ पुष्कर के देवता स्वयं ब्रह्मा जी हैं, वहीं मध्य पुष्कर के देवता भगवान विष्णु और कनिष्ठ पुष्कर के देवता भगवान शिव हैं।

सभी तीर्थों का मुख है पुष्कर सरोवर(Sabhi Teerthon Ka mukh Hai Pushkar Sarovar)

राजस्थान के अजमेर जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर पुष्कर झील पड़ती है। मान्यता है कि यहां ब्रह्मा जी के हाथ से पुष्प छूट कर गिरा था। बाद में यहां पर ब्रह्मा जी ने यज्ञ कराया था।
पुष्प गिरने की वजह से ही इस स्थान का नाम पुष्कर तीर्थ पड़ गया। इसे तीर्थों का मुख भी कहा जाता है। मान्यता है कि पुष्कर स्नान करने से जीवन के पाप नष्ट हो जाते है।
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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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