बृहस्पति देवों के गुरु हैं और भगवान विष्णु इसका प्रतिनिधित्व करते हैं, इस कारण यह दिन Shri Hari Vashnu श्री हरि विष्णु की पूजा का विशेष माना गया है। जिसके तहत मान्यता है कि इस दिन हर किसी को Puja of Lord Vishnu भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए, क्योंकि इस दिन वे आसानी से प्रसन्न हो जाते है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु पीताम्बरधारी हैं अर्थात् वह पीले वस्त्र पहनते हैं ऐसे में इस दिन पीले वस्त्र धारण करना विशेष माना गया है।
वहीं चूंकि Brihaspati बृहस्पति देवों के गुरु हैं और यह विद्या के कारक भी माने जाते हैं, ऐसे में इस दिन विद्या अर्जित करने वालों को जैसे विद्यार्थियों आदि (शिक्षा ग्रहण कर रहे व पढने-लिखने वाले व इसके व्यवसाय से जुडे लोग) को विद्या की Pujan of Goddess Saraswati देवी माता सरस्वती का पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है।
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माना जाता है इस दिन Blessings of maa saraswati माता सरस्वती का आशीर्वाद जल्द प्राप्त होता है। Devi Saraswati देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इस कारण माता सरस्वती की पूजा करने वालों को भी इस दिन सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए।
बृहस्पतिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि दैनिक कार्य से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण कर घर के मंदिर या पूजा स्थल में बैठें। इसके बाद पूजा की चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर उनके सामने घी का दीपक जलाएं। विष्णु जी को पीली चीजें अत्याधिक प्रिय है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को पीले फूल और पीले फल का भोग लगाएं।
भगवान विष्णु के मंत्र का 108 बार जप करें। इसके बाद भगवान विष्णु जी को धूप व दीप दिखाएं और विष्णु जी की आरती जरूर करें। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी बहुत प्रसन्न होती है और भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं। मान्यता के अनुसार गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से धन की कमी नहीं होती।
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1. इंसान धर्म का पालन करे और ईमानदारी का जीवन जीएं।
2. कठिनाई आने पर भी सत्य के मार्ग से नहीं हटें।
3. इन्द्रिय भोगों पर नियंत्रण रखते हुए सादगी व पवित्रता का जीवन जिएं।
4. अपने खून पसीने की कमाई का कुछ भाग, दुनिया को और भी सुन्दर बनाने में खर्च करें।
5. अपने कर्तव्य को पूरी तत्परता से पूरा करें और उसके परिणाम को भगवान की मर्जी समझकर स्वीकारें।
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वहीं विद्या की देवी मां सरस्वती के संबंध में मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने के बाद मनुष्य की रचना की। मनुष्य की रचना के बाद उन्होंने अनुभव किया कि केवल इससे ही सृष्टि को गति नहीं दी जा सकती है।– कमल के फूल चढ़ाएं व सफेद मिठाई को भोग लगाएं।
– कुश के आसन पर बैठकर स्फटिक या सफेद चंदन की माला से इस मंत्र का जप करें।
– कम से कम 5 माला जप अवश्य करें।
– एक ही समय, स्थान, माला व आसन होने से शीघ्र लाभ होता है।
– सफेद वस्त्रों को धारण करें।
पंचमं जगती ख्याता षष्ठं वागीश्वरी तथा। सप्तमं कुमुदी प्रोक्ता अष्टमं ब्रह्मचारिणी।
नवमं बुद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी। एकादशं चंद्रकान्तिद्र्वादशं भुवनेश्वरी।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं च: पठेन्नर:। जिह्वाग्रे वसते नित्यं ब्रह्मरूपा सरस्वती।
2. गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या फोटो को पीले वस्त्र पर विराजित कर पूजा करें। पूजा में केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल, व प्रसाद में पीले पकवान और पीले फल चढ़ाएं।
3. गुरु मंत्र का 108 बार जाप करें- मंत्र- ऊँ बृं बृहस्पते नम:।
4. गुरु से जुड़ी पीली वस्तुओं का दान दें।
5. गुरुवार को सुर्योदय से पहले उठें, स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
6.गुरुवार की शाम को केले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।
7. गुरुवार को विशेष पूजा के बाद केसर का तिलक लगाएं या हल्दी का तिलक भी लगाया जा सकता है।
8. इस दिन केला न खाएं।
9. इस दिन रामरक्षास्त्रोत का पाठ अचूक माना जाता है। वहीं राम आरती के अलावा राम परिवार का पूजन भी इस दिन करने से गुरु संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।