bell-icon-header
धर्म-कर्म

दिन के अनुसार जानें प्रदोष व्रत का फल, बुध प्रदोष से मिलता है ज्ञान

अलग-अलग प्रदोष व्रत का फल भी अलग-अलग होता है। किसी से ज्ञान प्राप्ति का फल मिलता है तो किसी से संतान, आइये जानते हैं नये साल 2023 के पहले प्रदोष व्रत यानी बुध प्रदोष व्रत से क्या फल मिलेगा।

Dec 30, 2022 / 11:35 am

shailendra tiwari

प्रदोष व्रत का फल

भोपाल. प्रदोष व्रत को वार अनुसार जाना जाता है, जैसे सोमवार को त्रयोदशी पड़ रही है तो इसे सोम प्रदोष कहते हैं और बुधवार को प्रदोष व्रत पड़ रहा है इसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। पुरोहितों का कहना है कि हर प्रदोष का अलग-अलग फल होता है। इनकी महिमा अलग-अलग होती है। आइये इसे जानते हैं।

बुध प्रदोष व्रत की तिथिः पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तीन जनवरी 2023 रात 10.02 बजे से लग रही है जो पांच जनवरी पूर्वाह्न 12.01 बजे संपन्न हो रही है। उदयातिथि में प्रदोष व्रत चार जनवरी को रखा जाएगा। भक्त इस दिन नियम से व्रत रखकर भगवान शिव से मनोवांछित फल देने की प्रार्थना करेंगे।

रवि प्रदोषः जो त्रयोदशी रविवार को पड़ती है, उसे रवि प्रदोष या भानु प्रदोष के नाम से जाना जाता है। रविवार का संबंध सूर्य से होता है। इससे इस दिन रखे जाने वाले प्रदोष व्रत नाम, यश, सम्मान, सुख, शांति लंबी आयु मिलती है। यदि कुंडली में अपयश योग है या सूर्य संबंधी परेशानी है तो इससे यह दोष दूर होता है।
ये भी पढ़ेंः Budh Pradosh vrat 2022: जानिए बुध प्रदोष व्रत तिथि और पूजा विधि

सोम प्रदोषः जो प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है, उसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं। जिस व्यक्ति का चंद्र खराब प्रभाव डाल रहा है, वह यह व्रत रखता है तो उसके जीवन में शांति बनी रहती है। इससे इच्छा अनुसार फल भी प्राप्त होता है, संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत रखा जाता है।

मंगल प्रदोषः इसे भौम प्रदोष के नाम से भी जाना जाता है, जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल कमजोर है, उसे यह व्रत जरूर रखना चाहिए। इस व्रत से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कर्ज से छुटकारा मिलता है।

बुध प्रदोषः बुध के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सौम्यवारा प्रदोष व्रत भी कहते हैं। शिक्षा और ज्ञान के लिए यह प्रदोष व्रत किया जाता है। साथ ही दूसरी मनोकामनाएं भी इस व्रत से पूरी होती हैं।
ये भी पढ़ेंः Budh Pradosh Vrat: प्रदोष के दिन नहीं करनी चाहिए ये गलती, हो सकती है मुश्किल


गुरु प्रदोषः गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरुवारा प्रदोष व्रत भी कहते हैं। इससे बृहस्पतिवार शुभ प्रभाव देता है, साथ ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत शत्रु के विनाश, खतरों को दूर करने और हर तरह की सफलता के लिए किया जाता है।

शुक्र प्रदोषः इस प्रदोष व्रत को भ्रुगुवारा प्रदोष भी कहते हैं। सौभाग्य की वृद्धि के लिए यह व्रत रखा जाता है। इससे धन, संपदा की प्राप्ति होती है।


शनि प्रदोषः शनिवार को पड़ने वाली तेरस को शनि प्रदोष के नाम से जानते हैं। इससे संतान की प्राप्ति होती है। इसे मनोकामना की पूर्ति और नौकरी में पदोन्नति के लिए रखा जाता है।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / दिन के अनुसार जानें प्रदोष व्रत का फल, बुध प्रदोष से मिलता है ज्ञान

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.