धर्म-कर्म

शत्रु का चाहते हैं नाश तो इस दिन ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

त्रयोदशी व्रत को हम प्रदोष व्रत के नाम से भी जानते हैं

Feb 18, 2020 / 06:12 pm

Devendra Kashyap

भगवान शिव को भोले भंडारी कहा जाता है। माना जाता है कि भोलेनाथ एक लोटा जल चढ़ाने से ही प्रसन्न रहते हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। कहा जाता है कि अगर भोलेनाथ का विधि-विधान से पूजा-पाठ किया जाए तो परिणाम और भी बेहतर हो सकता है।

वैसे तो भगवान शिव की पूजा करने का दिन हर सोमवार का होता है लेकिन माह के त्रयोदशी तिथि के दिन पूजा करना और उपवास का ज्यादा महत्व है। त्रयोदशी व्रत को हम प्रदोष व्रत के नाम से भी जानते हैं।

माना जाता है कि यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। पुराणों के अनुसार, इस व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। इसके अलावे ये भी कहा जाता है कि दिन के अनुसार इस पर्व का अलग महत्व है।

दरअसल, इस बार प्रदोष व्रत अर्थात त्रयोदशी तिथि 20 फरवरी ( गुरुवार ) को है और 21 फरवरी ( शुक्रवार ) को महाशिवरात्रि है। मान्यता है कि गुरुवार को प्रदोष व्रत करने से शत्रु का नाश होता है।

आइये सबसे पहले जानते हैं कि दिन के अनुसार प्रदोष व्रत का महत्व

रविवार के दिन प्रदोष व्रत रखने पर सदा निरोग रहेंगे।
सोमवार के दिन व्रत करने से इच्छानुसार फल मिलता है।
मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से आप स्वस्थ रहते हैं।
बुधवार के दिन व्रत करने से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है।
गुरुवार के दिन व्रत करने से शत्रु का नाश होता है।
शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
शनिवार को प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है।

ऐसे करें प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर रंगोली बनाना चाहिए। पूजा करते वक्त कुश के आसन का इस्तेमाल करें। इसके बाद उत्तर-पूर्व की दिशा में मुंह करके भगवान शिव की पूजा करें। शिवलिंग पर दूध या जल अर्पित करते वक्त ऊँ नम: शिवाय मंत्र का पाठ करते रहें। ध्यान रखें कि व्रत के दौरान उपवास रहें।

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