पितृ मोक्ष अमावस्या : इस उपाय से प्रसन्न हो पितर करेंगे सारी समस्याओं को दूर
इस तरह के अन्न के भाग का भोग पितरों को लगाना चाहिए-
1- श्राद्ध का भोजन ऐसा हो
– जौ, मटर और सरसों का उपयोग श्रेष्ठ है
– ज़्य़ादा पकवान पितरों की पसंद के होने चाहिये
– गंगाजल, दूध, शहद, कुश और तिल सबसे ज्यादा ज़रूरी है
– तिल ज़्यादा होने से उसका फल अक्षय होता है
– तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं
2- श्राद्ध के भोजन में ये अन्न नहीं पकायें
– चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा
– कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, लौकी
– बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी
– खराब अन्न, फल और मेवे
सैकड़ों पितृ दोषों से मिल जाएगी मुक्ति, पितृ में सुबह-शाम कर इस पितृ स्त्रोत वंदना का पाठ
3-सतपथ ब्राह्मनों को इन बर्तनों में ही भोजन कराया जा सकता है
– सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन भोजन के लिये सर्वोत्तम है
– चांदी के बर्तन में तर्पण करने से राक्षसों का नाश होता है
– पितृ, चांदी के बर्तन से किये तर्पण से तृप्त होते हैं
– चांदी के बर्तन में भोजन कराने से पुण्य अक्षय होता है
– श्राद्ध और तर्पण में लोहे और स्टील के बर्तन का प्रयोग न करें
– केले के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन नहीं कराना चाहिये
– श्राद्ध तिथि पर भोजन के लिये, ब्राह्मणों या अन्य को पहले से आमंत्रित करें
– दक्षिण दिशा में बिठायें, क्योंकि दक्षिण में पितरों का वास होता है
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