अब आप सोचेंगे कि संजीवनी विद्या क्या है। दरअसल, संजीवनी विद्या वह है जिसके दम पर मृत व्यक्ति को भी जिंदा किया जा सकता है। धार्मिक ग्रंथों की माने तो यह विद्या गुरु शुक्राचार्य के पास थी, जिसके बाल पर उन्होंने कई राक्षसों को फिर से जिंदा किया था।
संजीवनी विद्या के अलावा शुक्राचार्य के पास दिव्य महामृत्युंजय मंत्र भी था, जिसके दम पर वे युद्ध में घायल सौनिकों को स्वस्थ कर देते थे और मृत सैनिकों को तुरंत पुनर्जीवित भी कर देते थे।
जब आप गरुड़ पुराण पढ़ेंगे तो आपको ऐसे-ऐसे मंत्रों के बारे में जानकारी मिलेगी, जिसके दम पर मृत व्यक्ति भी जीवित हो सकता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, अगर इन मंत्रों को आप सिद्ध कर लेते हैं और इन मंत्रों को मृत व्यक्ति के कान में कहते हैं तो वह तुरंत खड़ा हो जाएगा।
संजीवनी मंत्र- यक्षि ओम उं स्वाहा गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा को शरीर मिल जाता है लेकिन यह निर्भर करता है उसके कर्मों पर। गरुड़ पुराण के अनुसार, कभी-कभी आत्मा को देर से भी शरीर मिलता है। यही कारण है कि मृत्यु के बाद पिंडदान किया जाता है ताकि आत्मा को भटकना ना पड़े और उसे तुरंत मुक्ति मिल जाए।
महामृत्युंजय मंत्र भी असरकारक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र को सिद्ध किया हुआ है तो वह मृत्यु को टाल सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऋषि मार्कंडय ने महामृत्युंजय मंत्र के दम पर ही अपनी मृत्यु को टाल दिया था। इसके अलावा रावण ने भी महामृत्युंजय मंत्र के दम पर ही 10 बार अपने नौ सिर काट कर भगवान शिव को अर्पित कर दिया था।
महामृत्युंजय मंत्र ऊँ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।